मप्र में “मुन्नी बाई MBBS”- फर्जी डॉक्टर ने मिडिल स्कूल से मांगी MBBS की डिग्री : मालेगांव अस्पताल में सरकारी नौकरी भी हासिल की; कोविड में इलाज भी किया
ग्वालियर। जीवाजी यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डुप्लीकेट मार्कशीट और डिग्री निकालने के मामले में पकड़े गए युवक-युवती ने पुलिस के सामने जो कुछ शुक्ला है उसे सुनकर खुद पुलिस भी हैरान है। लोग कह रहे हैं कि मुन्ना भाई एमबीबीएस की तरह ही यह मुन्नी बाई एमबीबीएस है। पता चला है कि युवती ने मार्कशीट और डिग्री निकालने के लिए यूनिवर्सिटी में ऑफलाइन आवेदन दिया था। इसमें माध्यमिक स्कूल से एमबीबीएस की डिग्री करना बताया था। उसने डुप्लीकेट मार्कशीट के आधार पर मालेगांव के अस्पताल में सरकारी नौकरी भी हासिल कर ली।
9 जून को झांसी रोड थाना पुलिस ने आरोपी महाराष्ट्र की रहने वाली प्रतीक्षा दायमा और मोहम्मद शफीक को गिरफ्तार किया था। उन्होंने भाजपा नेता सतीश बौहरे की भांजी डॉ. प्रतीक्षा शर्मा के नाम से यूनिवर्सिटी से डुप्लीकेट डिग्री और मार्कशीट निकाली थी। डॉ. प्रतीक्षा शर्मा को जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज से पता चला, तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी थी।
ऑफलाइन आवेदन, जो प्रतीक्षा दायमा ने दिया…
सेवा में,
सचिव,
माध्यमिक शिक्षा मंडल, ग्वालियर
विषय: अंकसूची की द्वितीय प्रतिलिपि बावत्।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैंने शासकीय माध्यमिक विद्यालय शिक्षा से साल 2018 में एमबीबीएस की शिक्षा ली थी। इसकी अंकसूची एवं प्रमाणपत्र भी मुझे मिल गया था, लेकिन बारिश के कारण मेरी अंकसूची और प्रमाणपत्र भीग गए थे। मैंने नौकरी के लिए रिक्त स्थान पर अप्लाई किया है।
कृपया मेरे प्रमाणपत्र और सभी अंकसूची की द्वितीय पत्र मुझे दिए जाने की कृपा करें।
प्रार्थी,
प्रतीक्षा शर्मा
विश्वविद्यालय ने भी बिना देखे दे दी डिग्री-मार्कशीट
प्रतीक्षा दायमा ने एजेंट के माध्यम से यूनिवर्सिटी से डिग्री और मार्कशीट निकाली थी। इसके लिए उसे 10 हजार रुपए भी दिए थे। खास बात ये है कि इस तरह का ऑफलाइन आवेदन देने के बाद भी विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने इसे देखने की जहमत नहीं उठाई। इससे विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं।
डिग्री कम्प्यूटर की, करने लगी मरीजों का इलाज
पता चला है कि प्रतीक्षा दायमा ने मास्टर ऑफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) किया है। इसके बावजूद एमबीबीएस की डुप्लीकेट डिग्री, मार्कशीट निकालने के बाद मालेगांव के अस्पतालों में प्रैक्टिस तक की। पता चला है कि वह मालेगांव के पल्स केयर नाम के हॉस्पिटल में कोविड की दूसरी लहर में भी मरीजों का इलाज कर चुकी है।
उसके पास से पल्स केयर अस्पताल का इंटर्नशिप सर्टिफिकेट भी मिला है। इन्हीं डॉक्यूमेंट्स के आधार पर उसने मालेगांव के सरकारी अस्पताल में नौकरी भी हासिल कर ली थी।