सीसीटीवी और वीडियोग्राफी में निर्वाचन आयोग को चूना लगाने की तैयारी टेंडर तो थ्री सीसीडी कैमरे का लेकिन वीडियोग्राफी का काम मोबाइल और हेंडी कैमरे से

दैनिक अवन्तिका इंदौर

विधानसभा निर्वाचन के लिए निर्वाचन आयोग की तैयारी चरम पर है। आयोग चुनाव की तैयारी के तहत सीसी टीवी एवं वीडियोग्राफी की निविदा जिला स्तर से करवा रहा है। जिलों में इसके लिए निविदा तैयार कर ली गई है। कुछ जिलों में निविदा जारी कर दी गई है और कुछ में जारी की जाना शेष है। निर्वाचन आयोग को इस कार्य में चूना लगाने के लिए एक पूरा माफिया सक्रिय हो गया है। ये ठेके के तहत पैसा तो थ्री सीसीडी कैमरा से वीडियोग्राफी से करने का लेंगे पर काम मोबाइल एवं हेंडी कैमरा से करेंगे।

 

सूत्रों के अनुसार विधानसभा निर्वाचन के लिए करोडों रूपए का बजट जिलों को वीडियोग्राफी और सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए दिया जाता है। जिला कार्यालयों में सधे हुए ठेकेदार ही इन कामों को करते हैं। इन ठेकेदारों की जमावट इतनी तगड़ी है कि वे नए ठेकेदारों को अन्यानेक तरीकों से इस काम से चलता करने में देर नहीं करते हैं। टेंडर डालने से ही इसकी शुरूआत हो जाती है। पूरा गेम जिला कार्यालयों के सधे हुए लोग अंजाम देते हैं। आनलाइन एवं आफलाइन टेंडर एक ही दिन डालने की शर्त का उपयोग नए आए ठेकेदारों की पहचान के लिए ही किया जाता है। जिससे कि उन्हें येन केन प्रकारेण कैसे भी रोका जा सके। टेंडर में वीडियोग्राफी थ्री सीसीडी कैमरा से किए जाने की दर ठेकेदार आयोग से वसूलता है। इसके बदले में थ्री सीसीडी कैमरा लगाने की बजाय मोबाइल से ही वीडियोग्राफी कर उसकी सीडी तैयार कर निर्वाचन कार्यालय को जमा करा दी जाती है। जबकि डीवीडी में उसे दिया जाना चाहिए जिससे कि वह अधिक समय तक सुरक्षित रह सके। यहां तक कि विभिन्न दलों के साथ चलने वाले कैमरा मैन हैंडी कैमरा से ही अपना काम करते हैं और अधिकारी यह सब देखने के बावजूद उन्हें वीडियोग्राफी का सत्यापन कर देते हैं। जिला निर्वाचन कार्यालय में पूरे कैमरामैनों की सूची भी ठेकेदार नहीं देते हैं। इसे लेकर कई बार परेशानी भी आती है। निर्वाचन के नियम अनुसार कैमरामेन का सत्यापन इसलिए किया जाता है कि उसका किसी दल विशेष से संबंध तो नहीं है इस नियम को भी हवा में उड़ा दिया जाता है। सीसी टीवी कैमरा का प्रतिदिन का डाटा दिया जाना आवश्यक होता है इसके उलट हार्ड डिस्क में एक साथ डाटा दिया जाता है। जिला कार्यालयों से ठेका जिन शर्तें के तहत लिया जाता है उन्हें ही पूर्ण नहीं किया जाता है। जिला कार्यालयों में इसके लिए एक समिति बनाई जाती है। टेंडर निर्धारित होने पर तत्काल ही उस पर अनुबंध होना चाहिए ऐसा भी जिला कार्यालयों में महीनों नहीं किया जाता है।