व्यापमं घोटाले में भोपाल एसटीएफ ने कांस्टेबल को इंदौर में पकड़ा
इंदौर। व्यापमं के पुलिस भर्ती घोटाले में फर्जी ढंग से पुलिस कांस्टेबल बनकर भर्ती हुए एक पुलिसकर्मी की तलाश में भोपाल एसटीएफ की टीम इंदौर आई। विजय नगर थाने में दबिश दी। यहां लंबे समय से खुफिया टीम में काम कर रहे कांस्टेबल धर्मेंद्र शर्मा को टीम ने पकड़ा और गिरफ्तारी के लिए ले जाने लगी। लेकिन इंदौर के अफसरों के हस्तक्षेप के बाद उसे पूछताछ के बाद कुछ दस्तावेज लेकर यहीं छोड़ दिया। बताते हैं कांस्टेबल धर्मेंद्र पर भोपाल एसटीएफ मुख्यालय में इसी के रिश्तेदार ने इसके फर्जी ढंग से पुलिस विभाग में भर्ती होने की शिकायत की थी। इस पर भोपाल एसटीएफ ने कांस्टेबल पर अपराध क्रमांक 33/23 भी दर्ज किया है।
डीसीपी जोन-2 अभिषेक आनंद ने बताया कि भोपाल से एसटीएफ की एक टीम विजय नगर थाने में कार्यरत कांस्टेबल धर्मेंद्र शर्मा पर दर्ज हुए एक केस के सिलसिले में पूछताछ के लिए आई थी। यहां उसे थाने में बैठाकर टीम के अधिकारियों ने एक केस के बदले में पूछताछ की। उससे कुछ दस्तावेज मांगे और फिर रवाना हो गई।
उसकी गिरफ्तारी नहीं ली गई। इधर सूत्र बताते हैं कि कांस्टेबल धर्मेंद्र शर्मा के सगे काका ने उसकी एसटीएफ भोपाल में शिकायत की थी कि वह फर्जी ढंग से पुलिस विभाग में भर्ती हुआ है। शिकायत के मुताबिक कांस्टेबल धर्मेंद्र 5वीं कक्षा तक ही पढ़ा है। वर्ष 2014-15 के दौरान व्यापमं द्वारा की गई पुलिस भर्ती परीक्षा में इसके स्थान पर किसी ओर ने परीक्षा दी थी। बाद में फिजिकल टेस्ट में ये खुद उपस्थित हुआ था और फर्जी ढंग से कांस्टेबल बना है।
एसटीएफ ने बीते 6 महीनों से इसकी जांच की तो पता चला ये फर्जी ढंग से ही भर्ती हुआ है। इस पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करने के बाद सोमवार को टीम इसकी गिरफ्तारी के लिए इंदौर आई और थाने में ही इसे एसटीएफ टीआई सुभाष दृश्यांकर की टीम ने कालर पकड़कर दबोच लिया।
एक अधिकारी के हस्तक्षेप से थाने से नहीं ली गिरफ्तारी
ऐसा बताया जा रहा है कि एसटीएफ कांस्टेबल धर्मेंद्र के खिलाफ तगड़े साक्ष्य लेकर इंदौर आई थी। लेकिन थाने से एक खुफिया के आरक्षक की गिरफ्तारी को लेकर इंदाैर पुलिस की साख पर बट्टा न लगे इसे लेकर एक अधिकारी ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर भोपाल में एक मंत्री से चर्चा की उसके बाद आरक्षक की गिरफ्तारी नहीं ली गई। हालांकि अधिकारियों ने इससे इंकार किया है।