क्षिप्रा नदी में डूबा लोगों की जिंदगी बचाने वाला तैराक

उज्जैन। देशभर से आस्था लेकर आने वाले लोगों की क्षिप्रा में डूबने से जिंदगी बचाने वाला तैराक खुद क्षिप्रा की गहराई में समा कर अपनी जान गवां बैठा। बुधवार सुबह नदी में शव दिखाई देने पर बाहर निकाला गया तो हर कोई हैरत में पड़ गया। उसे लोगों की जान बचाने पर सम्मानित किया जा चुका था।
नृसिंहघाट मल्टी में रहने वाला अर्जुन पिता अम्बाराम काहर क्षिप्रा तैराक दल का सदस्य था। वह कई सालों से देशभर से आस्था का नहान करने आने वाले लोगों को क्षिप्रा की गहराई में समाने से बचाने का काम कर रहा था। बुधवार सुबह कुछ लोगों ने नदी में लाश देखी तो होमगार्ड चौकी पर सूचना दी। सैनिक और तैराक दल के सदस्य लाश को बाहर निकालने के लिये राणौजी की छत्री के सामने पहुंचे। लाश बाहर निकालते ही सब हैरत में पड़ गये, शव अर्जुन कहार का था। मामले की जानकारी लगते ही महाकाल थाा पुलिस और परिजन रामघाट पहुंच गये। शव जिला अस्पताल लाया गया और पोस्टमार्टम कराया। रामघाट पर तैराक दल के सदस्यों ने बताया कि अर्जुन तैराकी में माहिर था, वह क्षिप्रा की 20 फीट गहराई तक गोता लगाकर लोगों को बचा लाता था। उसने कई डूबे लोगों के शव भी गहराई से निकाले थे। लोगों की जिंदगी बचाने पर उसे पूर्व में गणतंत्र दिवस पर सम्मानित भी किया जा चुका था।