एमवाय में सफाई कर्मी को अनुकंपा नियुक्ति से निकाला, सरकार पर 25 हजार कॉस्ट

इंदौर। एमवाय अस्पताल में सुनीता सेन नामक महिला की झाड़ू, पोछा लगाने के लिए जैसे-तैसे अनुकंपा नियुक्ति लगी थी। महिला ने नौकरी के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट कुछ देरी से दिया तो इसे बहाना बनाकर नौकरी लगने के तीन दिन बाद ही उसे निकाल दिया। साढ़े छह साल तक महिला नौकरी के लिए यहां-वहां भटकती रही। स्वास्थ्य विभाग से पत्राचार करती रही। आखिर में महिला ने हाई कोर्ट का रुख किया।

हाई कोर्ट ने अस्पताल प्रबंधन, स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा। जवाब में दिलचस्प जानकारी सामने आई। महिला ने जब मेडिकल के लिए टेस्ट कराया तो उसे थायराइड निकला। इस पर डाॅक्टर ने कुछ दिन बाद मेडिकल कराने के लिए कहा। महिला ने सात दिन बाद मेडिकल करवाकर फिट होने की रिपोर्ट अस्पताल प्रशासन को दे दी। अस्पताल प्रबंधन ने नौकरी लगने के तीन दिन बाद उसे यह कहते हुए निकाल दिया कि प्रमाण पत्र देरी से दिया है।
महिला ने अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के माध्यम से याचिका दायर की थी। इसमें उल्लेख किया कि उसे 2015 में माता इंद्रादेवी की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। थायराइड कोई बीमारी नहीं है। थायराइड को लेवल में लाने के लिए मेडिकल देरी से कराया था। महिला शारीरिक रूप से फिट थी। विभाग ने तीन दिन देरी का बहाना बनाकर जबरन उसे निकाल दिया।

सरकार ने लंबा-चौड़ा जवाब बनाकर चतुर्थ श्रेणी स्तर की कर्मचारी को हटाने के लिए पेश किया था। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद विभाग के फैसले को खारिज कर दिया। महिला ने भले ही सात साल नौकरी नहीं की, लेकिन उसे इस अवधि का पूरा वेतन दिए जाने के आदेश दिए। महिला को नौकरी पर भी नियमित रूप से रखा जाएगा। सरकार पर 25 हजार रुपए की कॉस्ट भी लगाई। यह पैसा भी महिला को दिया जाएगा।