श्रावण मास से पहले शनि प्रदोष का संयोग, महाकाल में होगी खास पूजा
– ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह में करेंगे 11 ब्राह्मण रुद्राभिषेक
दैनिक अवंतिका उज्जैन।
इस बार श्रावण मास शुरू होने से ठीक पहले 1 जुलाई को शनि प्रदोष का दुर्लभ संयोग बन रहा है। श्रावण मास इस बार 4 जुलाई से लग रहा है। इसके पहले भगवान शिव के भक्तों के खास माने जाने वाला पर्व आ रहा है।
शनिवार के दिन प्रदोष आने पर शनि प्रदोष का संयोग बनता है। शनि प्रदोष पर ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की खास पूजा होती है। इस दिन शाम को 11 ब्राह्मणों के द्वारा रुद्राभिषेक किया जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि पुराणों में श्रावण से ठीक पहले आने वाले इस प्रदोष व्रत का बहुत महत्व बताया है, क्योंकि इस संयोग में होने वाली शिव आराधना कई गुना फलदायी होती है। प्रदोष के व्रत से भगवान शिव की कृपा जल्दी मिलती है। जिससे हर तरह के सुख, समृद्धि, भोग और ऐश्वर्य मिलता है। शादीशुदा जीवन में सुख बढ़ता है। उम्र के साथ अच्छी सेहत भी मिलती है।
जाने क्यों इतना खास माना जाता है शनि प्रदोष का पर्व
शनिदेव के गुरू भगवान शिव हैं, इसलिए शनि संबंधी दोष दूर करने और शनिदेव की शांति के लिए शनि प्रदोष का व्रत किया जाता है। संतान पाने की कामना के लिये शनि त्रयोदशी का व्रत खासतौर से सौभाग्यशाली माना जाता है। इस व्रत से शनि का प्रकोप, शनि की साढ़ेसाती या ढैया का अशुभ असर कम हो जाता है। शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत धन-धान्य और हर तरह के दुखों से छुटकारा देने वाला होता है।
श्रद्धालुगण शनिप्रदोष पर ये करें शिव कृपा से मिलेगा उत्तम फल
इस दिन दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करने से शनि के अशुभ असर से बचा जा सकता है। इसके अलावा शनि चालीसा और शिव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। सूरज डूबने के बाद और रात होने से पहले प्रदोष काल होता है। मान्यता है कि प्रदोष काल में शिव जी साक्षात शिवलिंग में प्रकट होते हैं और इसलिए इस समय शिव का ध्यान करके उनका पूजन किया जाए तो उत्तम फल मिलता है। प्रदोष व्रत से चंद्रमा के अशुभ असर और दोष दूर हो जाते हैं।
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