चालक रहित मेट्रो में यात्रियों की सुरक्षा के लिए होगी ह्यरोगाणु नियंत्रण प्रणालीह्ण

इंदौर में चलने वाली मेट्रो को ग्रेड आफ आटोमेशन-4 तकनीक से डिजाइन किया है
दैनिक अवन्तिका  इंदौर
इंदौर में चलने वाली मेट्रो में यदि आप सफर करते हैं तो आपकी सेहत का पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसमें ऐसी प्रणाली होगी जो संक्रमण से बचाएगी। सितंबर में मेट्रो का ट्रायल रन होना है। इसके लिए अगस्त के मध्य तक मेट्रो के तीन-तीन डिब्बों के दो सेट इंदौर आने की संभावना है। इन कोच का निर्माण वडोदरा के सावली में फ्रांस की अलस्टाम कंपनी कर रही है।
इंदौर में चलने वाली मेट्रो को ग्रेड आफ आटोमेशन-4 तकनीक से डिजाइन किया गया है। इसलिए यह मेट्रो चालक रहित (ड्राइवरलेस) होगी, लेकिन शुरूआत के कुछ दिन इसमें चालक को भी बैठाया जाएगा। उसके बाद स्वचलित संचालन होगा। मेट्रो स्वत: ही स्टेशन पर रुकेगी और निर्धारित अंतराल बाद आगे बढ़ेगी। अभी दिल्ली सहित कुछ शहरों में इस तरह संचालन हो रहा है।
ग्रेड आफ आटोमेशन-2 तकनीक से संचालित होने वाली मेट्रो में चालक रहता है। इसके अलावा मेट्रो में वातानुकूलित माहौल तो मिलेगा ही, इसमें लगाए जाने वाले एयरकंडीशनर में रोगाणु नियंत्रण प्रणाली (जर्म कंट्रोल सिस्टम) भी होगी। कोविड के बाद मेट्रो में इस फीचर को जोड़ा गया है।
एक डिब्बे में 50 लोगों के बैठने की व्यवस्था
इंदौर में मेट्रो के 25 सेट ट्रेन का संचालन होना है, जबकि भोपाल में 27 सेट की मेट्रो चलेगी। एक सेट में तीन डिब्बे होंगे। हर डिब्बे में स्टील की कुर्सियां होंगी, जिसमें 50 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी, जबकि 250 लोग खड़े हो सकेंगे। इस तरह तीन डिब्बों में एक बार में करीब 900 यात्री सफर कर पाएंगे। डिब्बे में दिव्यांग की व्हीलचेयर के लिए अलग से स्थान होगा। मेट्रो ट्रेन को 90 किमी प्रतिघंटा की गति से चलने के लिए डिजाइन किया गया है। हालांकि इंदौर में स्टेशन की दूरी के आधार पर मेट्रो 80 किमी प्रतिघंटा की गति से चलेगी।
प्लेटफार्म स्क्रीन डोर खुलने पर मेट्रो में चढ़ पाएंगे यात्री
मेट्रो ट्रेन में एलईडी डिस्प्ले बोर्ड रहेंगे, जिन पर स्टेशन के नाम होंगे। अनाउंसमेंट सिस्टम भी होगा। इमरजेंसी बटन के माध्यम से यात्री चालक या कंट्रोल रूम से सीधे बात कर पाएंगे। मेट्रो में एलईडी लाइटिंग इस तरह लगाई जाएगी कि दिन में कम रोशनी होगी। वहीं रात के समय पूरी एलईडी चालू होगी। इससे विद्युत की बचत भी होगी। मेट्रो के अंडरग्राउंड टनल में चलने पर भी बेहतर प्रकाश व्यवस्था होगी।
मेट्रो स्टेशन पर प्लेटफार्म स्क्रीन डोर सिस्टम होगा। इसके खुलने पर यात्री मेट्रो में चढ़ पाएंगे। मेट्रो ट्रैक के आसपास का हिस्सा ग्लास से कवर होगा। ऐसे में स्टेशन पर मौजूद यात्री ट्रैक के पास पहुंच नहीं पाएंगे। सीसीटीवी कैमरे भी रहेंगे। गौरतलब है कि देश के अन्य शहरों में मेट्रो ट्रैक पर आत्महत्या के मामले बढ़ने के बाद चीफ मेट्रो रेल सेफ्टी द्वारा देश के सभी मेट्रो के लिए यह गाइडलाइन तय कर दी गई।
इंदौर में अगस्त के मध्य या अंत तक मेट्रो के डिब्बों के पार्ट्स पहुंचेंगे। 10 से 15 दिन में उन्हें असेंबल किया जाएगा। इंदौर में चालक रहित मेट्रो का संचालन किया जाएगा। इसमें इमरजेंसी बटन के माध्यम से यात्री कंट्रोल रूम से बात कर सकेंगे। मेट्रो स्टेशन को इस तरह डिजाइन करेंगे, जिसमें लोकल सीनरी या पेटिंग भी लगाई जाए। -शोभित टंडन, डायरेक्टर सिस्टम, मप्र मेट्रो रेल कापोर्रेशन लि.