यंत्र बांधकर नीचे से पशुओं को निकाला जाता है
रुनीजा। घर में पाले जाने वाले गाय , भैंस , बैल , बकरी आदि पालतू पशु जो साल भर हमारे परिवार को दूध ,दही ,गोमूत्र , गोवर का ईंधन तथा खेतों से फसल उगाने में सहयोग करते हैं। इन पशुओं के स्वास्थ्य जीवन की रक्षा को लेकर कई ग्रामो आज भी अनूठे आयोजन देखने की मिलते।इनको देखकर विश्वास नही होता की ऐसा करने से पालतू पशु पर कोई बीमारी नही आती। परन्तु ग्रामीणो की आज भी यही मान्यता है। ऐसा करने से हमारे पशु साल भर स्वस्थ्य रहते हैं । ऐसा ही अनूठा आयोजन आषाढ़ की पूर्णिमा को सुबह सुबह चामुण्डा धाम गजनी खेड़ी में देखने को मिला। यहां पालतू पशुओ एक यंत्र के नीचे निकाला जाता है । गाव की भाषा मे इसे रोकटिया निकालना कहते हैं। प्रति वर्ष आषाढ़ माह में खरीब की फसल सोयाबिन , मक्का , आदि की बुआई कर दी जाती उसके बाद आषाढ़ की ग्यारस से लेकर पूर्णिमा के बीच पशुओं के स्वस्थ्य जीवन की कामना को लेकर यह आयोजन किया जाता है। इस बार भी पूर्णिमा को सुबह 5 बजे देवताओं का हवन पूजन कर वहा से लाई गई भभूत व अभी मंत्रित जल एव बहार से लाये यंत्र को गाव के मुख्य मार्ग पर बांधकर गाव के सभी पालतू पशुओं गाय बेल , भेस , बकरी , आदि को इस यंत्र के नीचे निकाला गया। व दो व्यक्तियों द्वारा नीम के पत्तो से अभिमंत्रित जल पशुओआ पर छिड़का गया। जब तक पूरे गाँव के पशु इस यंत्र के नीचे निकल नही जाते कोईभी व्यक्ति इसके नीचे गाव में प्रवेश नही कर सकता उसे रोक दोया जाता है। पशुओ के निकल जाने के बाद गाव की महिलाये जीनके घरो में पालतू पशु होते घरो में बंधने वाले गोठान की साफ सफाई कर जिस झाड़ू व टोकरी से साल भर सफाई करती है। उनको लेकर यंत्र के नीचे निकल कर उनको नदी नाले फेक देती है। इस दिन सभी किसान भी अपना कृषि कार्य बन्द रखते तथा गाव के जितने भी देव स्थान वहां जाकर पूजा आदि करते। इस संदर्भ गाँव के पुजारी राजेंश पाठक , अन्नू पाटीदार नेबताया गाव के मुख्य द्वारा पर जो यंत्र बंधा जाता है। वह नीमच के किसी गाँव से मंगाया जाता है।इस यंत्र को व जल को अभिमंत्रित करने के लिए सुबह 5 बजे हवन पूजन किया जाता है। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है।ऐसी मान्यता है कि इससे पशुओं की कोई बुमारी नही होती। दिन भर सभी देवताओं के पूजन के बाद शाम को माता चामुंडा के दरबार मे अभिषेक पूजन होता है। जिसमे सभी गाव के लोग उपस्थित रहते हैं। और आरती प्रशादी लेकर घर जाते हैं ।