रेलवे प्रीमियम नहीं वसूलता इसलिए यात्रा के दौरान सामान चोरी होने पर उसकी जिम्मेदारी नहीं

इंदौर। जिला उपभोक्ता आयोग ने माना कि यात्रा के दौरान अगर सामान चोरी होता है तो रेलवे उसके लिए जिम्मेदार नहीं। आयोग ने कहा कि चूंकि रेलवे यात्रियों से प्रीमियम नहीं वसूलता है इसलिए उसे मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता। नंदानगर इंदौर निवासी महेंद्र कुमार विजयवर्गीय 9 अक्टूबर 2015 को पत्नी के साथ त्रिपुरा एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे। उन्होंने दो सूटकेस और ट्राली और अन्य सामान चेन से बांधकर सीट के पास रखे और रात करीब 10 बजे खो गए। सुबह उठकर उन्होंने देखा कि सूटकेस और ट्राली गायब हैं। आसपास तलाशने पर भी यह सामान नहीं मिला। इस पर उन्होंने पुलिस में चोरी की रिपोर्ट दर्ज करा दी। इसके साथ ही एक परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक 1 के समक्ष प्रस्तुत किया। रेलवे की ओर से तर्क रखा गया कि रेलवे यात्रियों से सिर्फ यात्रा का किराया वसूलती है। यात्री द्वारा साथ ले जाने वाले सामान का कोई प्रीमियम नहीं वसूला जाता है। ऐसी स्थिति में साथ ले जाने वाले सामान को संभालने की जिम्मेदारी स्वयं यात्री की होती है। यात्री कितना सामान ले जा रहे हैं और क्या-क्या ले जा रहे हैं, इसकी कोई जानकारी रेलवे के पास नहीं होती, इसलिए चोरी गए सामान की जिम्मेदारी रेलवे की नहीं होती है। रेलवे की ओर से इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायदृष्टांत भी प्रस्तुत किए गए। तर्कों से सहमत होते हुए जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद निरस्त कर दिया।
शून्य पर दर्ज होती है रिपोर्ट
यात्रा के दौरान सामान की चोरी होने पर सामान्यत: पुलिस में शून्य पर कायमी कर लेती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यात्रा के दौरान सामान चोरी होने पर यह तय कर पाना मुश्किल होता है कि चोरी किस पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुई है। शून्य पर कायमी के बाद पुलिस स्थान तय करने के बाद संबंधित पुलिस थाने को आगे की कार्रवाई के लिए प्रकरण भेज देती है।