इंदौर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में प्रशासन के खिलाफ डॉक्टर्स
बोले- जिन्हें अस्पताल की जानकारी नहीं वे करेंगे संचालन? पहले भी डिप्टी कलेक्टर को छोटा अधिकारी बता चुके डॉ. घनघोरिया
इंदौर। एमटीएच अस्पताल में गुरुवार को दो नवजात बच्चों की मौत को लेकर हुए हंगामे के बाद कमिश्नर डॉ. पवन कुमार शर्मा द्वारा इंदौर के आठ सरकारी अस्पतालों में प्रशासनिक नियुक्ति के आदेश का मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन द्वारा जमकर विरोध शुरू हो गया है। इस आदेश के खिलाफ एमवाय अस्पताल में डॉक्टरों की एक बैठक हुई।
सभी डॉक्टरों ने एक स्वर में कहा कि जिन प्रशासनिक अधिकारियों को अस्पताल की गतिविधियों की कोई जानकारी न नहीं वे यहां की व्यवस्था संभालेंगे? इससे डॉक्टरों का मनोबल गिरेगा और वे काम नहीं कर सकेंगे। सोमवार को एमटीए का प्रतिनिधि मंडल डीन डॉ. संजय दीक्षित को ज्ञापन सौंपेंगे और उनसे भी मांग करेंगे कि वे आदेश का विरोध करें। वे अगर आदेश का विरोध नहीं करते हैं यह माना जाएगा कि अस्पतालों का संचालन ठीक से नहीं हो रहा है और फिर डॉक्टर उग्र आंदोलन करेंगे।
सीएम के आश्वासन के बावजूद कैसे निकाला आदेश
मीटिंग में डॉक्टरों ने कहा कि आदेश में कहीं भी एमटीएच अस्पताल की घटना की जिक्र नहीं है, लेकिन यह संयोग भी नहीं हो सकता। जब इस मामले में स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई है कि 15 बच्चों की मौत का कोई मामला नहीं है तो फिर यह आदेश क्यों निकाला। डॉक्टरों का कहना है कि आदेश में एमटीएच की घटना का उल्लेख नहीं है। इसमें लिखा है कि आदेश एमजीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों के सुचारु रूप से संचालन व समन्वय के लिए है। इसे लेकर डॉक्टरों ने सवाल उठाए कि क्या अभी तक सुचारु संचालन नहीं हो रहा था। सरकारी अस्पतालों के सभी अधीक्षक पूरी तरह अपने कर्त्तव्य का निर्वाह कर रहे हैं।
औचक निरीक्षण का भी घोर विरोध
डॉक्टरों ने कहा कि हम लोग दिनरात जुटे रहते हैं और मरीजों को हर संभव बचाने का प्रयास करते हैं, इसके बावजूद अब मॉनिटरिंग की कमान प्रशासनिक अधिकारियों के पास रहेगी जिन्हें अस्पताल संचालन का नॉलेज नहीं है। समन्वय तक बात ठीक है लेकिन वे संचालन करेंगे यह हम होने नहीं देंंगे। मीटिंग में औचक निरीक्षण को लेकर भी आपत्ति जताई गई। उन्होंने कहा कि पिछले साल इस मुद्दे को लेकर प्रदेशभर के डॉक्टर्स ने विरोध जताया था। इसके चलते मुख्यमंत्री ने विचार कर डॉक्टरों के हित में निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद कमिश्नर ने उक्त आदेश निकाल दिया।
जनप्रतिनिधियों से सामना कराने को लेकर आपत्ति
मीटिंग में एमटीएच के डॉ. प्रीति मालपानी व डॉ. सुनील आर्य ने 15 बच्चों की मौत को लेकर हुए बवाल का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि घटना वाले दिन जनप्रतिनिधियों के सामने हमें जवाब देने के लिए सामने लाया गया। जनप्रतिनिधियों ने डॉक्टर और नर्सों की लापरवाही व दुर्व्यवहार को लेकर कई सवाल किए। जब हम लोग सीनियर को सारी स्थिति स्पष्ट कर चुके थे तो भी हम पर कई सवाल दागे गए। जनप्रतिनिधि द्वारा पूछा गया कि कितना स्टाफ है, कितनी ड्यूटी थी, इस प्रकार के सवाल सीधे हमसे करना ठीक नहीं है।
प्राकृतिक रूप से मौतों को कोई नहीं रोक सकता
डॉक्टरों ने कहा कि एमटीएच में बच्चे की मौत का मामला दुखद है। डॉक्टर न भगवान होता है और न ही किसी की जान लेने वाला। डॉक्टरों द्वारा हर संभव बचाने का प्रयास किया जाता है लेकिन प्राकृतिक रूप से मौत पर कोई कुछ नहीं सकता। फिर भी सारे अनर्गल आरोप डॉक्टरों पर लगाए जाते हैं। इस तरह के मुद्दे बनाकर डॉक्टरों का जो मनोबल गिराया जा रहा है यह गंभीर चिंता का विषय है। यह सभी राजनीतिक व प्रशासनिक लोगों को समझना पड़ेगा।