हर भाषा अपने आप में विशेष है, एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

मुंबई। हर भाषा अपने आप में विशेष है। किसी भी भाषा को हम रुकावट ना मानें और हर भाषा से जुड़ने तथा उसके माध्यम से उपलब्ध ज्ञान हासिल करने का प्रयास करें, क्योंकि कोई भी भाषा किसी के विकास में कभी रुकावट नहीं बनती। इसलिए हर भाषा के माध्यम से विशिष्ट ज्ञान एवं साहित्यिक संवेदना हासिल कर हम मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में उतार सकते हैं। ये महत्वपूर्ण विचार अकोला की जिलाधिकारी सुश्री नीमा अरोरा ने रामचरित मानस के प्रासंगिक महत्व पर महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा अकोला में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अपने उद्बोधन में व्यक्त किये।

इस संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई से पधारे महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने किया। इस अवसर पर अकादमी के मुंबई से आये सदस्य श्री आनंद सिंह और डॉ. संजय सिंह, लोकमत के अकोला संस्करण के कार्यकारी सम्पादक श्री किरण अग्रवाल, अकादमी के स्थानीय सदस्य श्री श्याम पन्नालाल शर्मा और डॉ. प्रमोद शुक्ला, अकादमी के सह निदेशक एवं सदस्य सचिव श्री सचिन निंबालकर, युवा उद्यमी श्री निकेश गुप्ता, मराठी जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री शौकत अली मीर, श्रमिक पत्रकार संगठन के अध्यक्ष श्री प्रबोध देशपांडे और बीजीई सोसायटी के कनिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अभिजीत परांजपे भी मंच पर उपस्थित थे। ‘मनुष्यता की गरिमा, सामाजिक तारतम्य, जनजीवन के प्रश्न सुलझाती तर्कसंगत, मनोवैज्ञानिक, मनोरम रामचरित मानस’ विषय पर मुख्य वक्ता डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने कहा कि रामचरित मानस में जीवन के आनंद से जुड़े हर रहस्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य रामचरित मानस में व्याप्त आदर्शों का पालन करे, तो वह निश्चित ही जीवन में श्रेष्ठ मनुष्य के रूप में अपने सामाजिक कर्तव्यों का निर्वाह करेगा। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस जीवन को सात्विक एवं परोपकारी बनाने का मूल संदेश देती है, अत: उसका अनुसरण मानवता का श्रेष्ठ उदाहरण होगा। इस सत्र का प्रास्ताविक अधिवक्ता श्री सत्यनारायण जोशी ने किया। सत्र की अध्यक्षता कवयित्री श्रीमती प्रेमा शुक्ल ने की। दूसरे सत्र में ‘जाति, प्रांत, भाषा, धर्मवाद जैसी सारी संकीर्णताओं को नकारता मीडिया और साहित्य का चिंतन’ विषय पर मुंबई से पधारे वरिष्ठ पत्रकार डॉ. संजय सिंह, श्रेष्ठ मंच संचालक श्री आनंद प्रकाश सिंह तथा लोकमत के कार्यकारी सम्पादक श्री किरण अग्रवाल ने अपने अनुभवों एवं व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से सोशल मीडिया की भूमिका को समीक्षात्मक रूप से पेश किया। वक्ताओं ने बताया कि आधुनिक तकनीक के कारण हमारे विचारों की अभिव्यक्ति के लिए कई मंच उपलब्ध हैं। हम किसी बहकावे या प्रभाव में आए बगैर संकीर्ण विचारों को ठुकरा कर स्वतंत्र रूप से अपना मत प्रकट कर सकते हैं। ऐसा करना सोशल मीडिया की व्यापक सकारात्मक भूमिका का एवं हमारी वैचारिक स्वतंत्रता का अनुकरणीय उदाहरण होगा। प्रारम्भ में डॉ. शीतला प्रसाद दुबे एवं अन्य अतिथियों के हाथों दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इसके उपरांत अतिथियों को पुस्तकें देकर सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र का संचालन प्राध्यापिका श्रीमती शारदा बियाणी ने किया। दूसरे सत्र का संचालन डॉ. प्रमोद शुक्ला तथा तीसरे सत्र का संचालन डॉ. शैलेंद्र दुबे ने किया। इस साहित्यिक आयोजन का प्रास्ताविक एवं आभार प्रदर्शन आयोजन के निमंत्रक एवं अकादमी के स्थानीय सदस्य श्री श्याम शर्मा ने किया। संगोष्ठी में सुधी श्रोताओं के साथ बड़ी संख्या में महिला अध्यापिकाओं की उपस्थिति लक्षणीय रही। संगोष्ठी में शामिल अध्यापकों एवं प्राध्यापकों को सहभागिता प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रारम्भ महाराष्ट्र राज्य गीत से हुआ तथा समापन राष्ट्रगीत के साथ किया गया।