दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय पूजास्थल सम्मलेन और प्रदर्शनी का 22-24 जुलाई को वाराणसी में होगा आयोजन
इंदौर। अपनी तरह के पहले ज्ञान को साझा करने वाले इस आयोजन में परिचर्चा, प्रस्तुतिकरण, कार्यशालाओं और मास्टरक्लासेस के माध्यम से मंदिर प्रबंधन की सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों पर रोशनी डाली जायेगी।
इस सम्मलेन में 25 देशों से हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्मों की भक्ति संस्थायें भाग लेंगी
तीन दिनों के इस विशाल आयोजन में 450 से अधिक विख्यात मंदिरों के अधिकारी भाग लेंगे
सम्मलेन का मूल उद्देश्य भक्तों के अनुभव और सुविधा को बेहतर करना है
12 जुलाई : विश्व के प्राचीनतम शहर वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 22 से 24 जुलाई, 2023 तक इंटरनेशनल टेम्पल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो (आईटीसीएक्स) का आयोजन होने जा रहा है। टेम्पल कनेक्ट (इंडिया) द्वारा विकसित यह विश्व का पहला आयोजन है जो केवल दुनिया भर में मंदिरों के प्रबंधन के प्रति समर्पित है। इस सम्मलेन में मंदिर पारितंत्र के प्रशासन, प्रबंधन और संचालन के विकास तथा सशक्तीकरण पर फोकस किया जाएगा।
इस सम्मलेन की संकल्पना टेम्पल कनेक्ट (भारतीय मूल के मंदिरों से सम्बंधित जानकारियों के प्रलेखन, डिजिटलीकरण और वितरण के प्रति समर्पित प्रमुख प्लैटफॉर्म) के संस्थापक, गिरेश कुलकर्णी के साथ प्रसाद लाड (इंटरनेशनल टेम्पल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो 2023 के चेयरमैन तथा महाराष्ट्र विधान परिषद् के सदस्य) और शो डायरेक्टर एवं को-क्यूरेटर मेघा घोष द्वारा की गई है। यह तीन-दिवसीय कार्यक्रम मंदिर प्रबंधन के सर्वोच्च पद पर आसीन समान सोच के अधिकारियों के बीच विचारों के खुले आदान-प्रदान, शिक्षण और बहुमूल्य परिज्ञान के लिए एक मंच प्रदान करेगा, जहाँ पूरे विश्व में पूजास्थल प्रधान की टीमों के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्यपद्धतियों की स्थापना, सक्षमता और संवर्धन पर चर्चा और निर्णय होंगे।
जैसा कि यह सम्मलेन मंदिर पर्यटन और तीर्थाटन पारितंत्र में वृद्धि करेगा, इसे उचित रूप से ‘अतुल्य भारत” अभियान के अंतर्गत पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार का समर्थन प्राप्त है।
आईटीसीएक्स का लक्ष्य नेटवर्किंग, ज्ञान को साझा करने और समकक्ष शिक्षण के लिए एक पारितंत्र का निर्माण और विकास करना है जो विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञ संगोष्ठी, कार्यशालाओं और मास्टरक्लासेस से निकल कर आएगा। इसमें एक मजबूत और सम्बद्ध मंदिर समुदाय के पोषण के लिए साइबर हमलों से सुरक्षा तथा सोशल मीडिया प्रबंधन हेतु पूजास्थल की सुरक्षा, संरक्षा और चौकसी, निधि प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, स्वच्छता, आरोग्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (आआई) जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग शामिल हैं। इस सम्मलेन में तीर्थयात्री-अनुभव के तहत भीड़ और पंक्ति प्रबंधन, ठोस कचरा प्रबंधन, तथा बुनियादी सुविधा में सुधार जैसे विषयों पर भी चर्चा की जाएगी।
इस सम्मलेन में केवल आमंत्रित लोग ही शामिल हो सकेंगे और पहले संस्करण में इसे हिन्दू, जैन, बौद्ध तथा सिख धर्मों के धर्मस्थलों तथा पूजास्थल न्यासों के लिए अभिकल्पित किया गया है। इस सम्मलेन में जैन धर्मशालाओं, प्रमुख भक्ति धर्मार्थ संगठन, यूनाइटेड किंगडम के हिन्दू मंदिरों के संघ, इस्कॉन मंदिर, विभिन्न अन्ना क्षेत्र प्रबंधन, विभिन्न तीर्थ स्थलों के पुरोहित महासंघ और विभिन्न तीर्थयात्रा संवर्धन परिषद् (पिल्ग्रिमेज प्रमोशन बोर्ड्स) के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
इसके अलावा, यह सम्मलेन एक प्लैटफॉर्म का काम करेगा जहाँ पूरे विश्व के धर्मस्थलों की विविध संस्कृतियों, परम्पराओं, कला और शिल्प के बार में सीखने के साथ-साथ भारत की समृद्ध पूजास्थल धरोहर के यशोगान का अवसर प्राप्त होगा।
तीन-दिवसीय सत्रों के मुख्य कार्यक्रम :
डॉ. मोहन भागवत (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक) इस सम्मलेन का उदघाटन करेंगे। कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख लोगों में विभिन्न पूजास्थल के न्यासियों, पूजास्थल परिषदों और न्यासों के सदस्यों के साथ त्रावणकोर का राजकुमार (पद्मनाभस्वामी मंदिर), रोहण ए. खुन्ते (गोवा के पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार, तथा छापे एवं लेखन-सामग्री मंत्री), धर्म रेड्डी (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के कार्यकारी अधिकारी) और कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं।
सर्वांगीण प्रभाव उत्पन्न करने के लिए इन सत्रों में स्थायी मंदिर प्रबंधन और विकास को ठीक करने के लिए पहले आजमाई गई और आधुनिक कार्यपद्धतियों को शामिल किया गया है। मुख्य बातचीत में हरित ऊर्जा, पुरातात्विक वास्तुशिल्प, लंगर (सामुदायिक रसोई) प्रबंधन, धर्मस्थलों की प्रकाश व्यवस्था आदि को भी संबोधित किया जाएगा। वक्ताओं में तिरुपति बालाजी पूजास्थल के विशेषज्ञ शामिल हैं, जो अपनी त्रुटिहीन पंक्ति प्रबंधन प्रणाली और वाराणसी के घाटों की सफाई तथा रखरखाव करने वाले अपने परोपकारी/सामाजिक संगठनों के बारे में ज्ञान साझा करेंगे। इस सम्मलेन के संस्थापक, गिरेश कुलकर्णी भी मंदिर अर्थशास्त्र और पर्यटन में इसकी विस्तृत भूमिका पर सत्र का नेतृत्व करेंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है और तीर्थयात्रियों को एक यादगार अनुभव प्रदान करके गंतव्यस्थल को बढ़ावा दिया जा सकता है।