अब पैरों में जूते – चप्पल पहनना भी पड़ेगा भारी, एक सर्टिफिकेट बढ़ा देगा जूते- चप्पल की ढाई से तीन गुना कीमत
इंदौर। सरकार ने नए- नए नियम निकाल रही है। नए-नए सर्टिफिकेट लेने होते हैं, जिससे वस्तु की लागत बढ़ जाती है। फिलहाल जूते- चप्पल निर्माण को लेकर बीआईएस सर्टिफिकेट जरूरी कर दिया गया है। इस सर्टिफिकेट के कारण जूते -चप्पल की कीमत ढाई से तीन गुना बढ़ जाएगी।
सेंट्रल इंडिया का फुटवियर हब है। यहां करीब 50 फुटवियर यूनिट है। इंदौर के फुटवियर मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों, पंजाब, झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र में सप्लाय होती है। कम कीमत में तैयार होने के कारण इन राज्यों में ज्यादा डिमांड है। केंद्र सरकार ने इस इंडस्ट्री के लिए बीआइएस की अनिवार्यता कर दी है।
इससे यहां बनने वाले जूते-चप्पल महंगे हो जाएंगे। इसका नुकसान भी इंडस्ट्री को उठाना पड़ सकता है। इसके चलते उद्योग संचालकों और एसोसिएशन ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। दावा किया जा रहा है कि जो चप्पल अभी 100 रुपए की मिलती है बीआईएस लागू होने के बाद वही चप्पल 250 से 300 रुपए की हो जाएगी।
फुटवियर निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरीश पंजाबी कहते हैं कि बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) सर्टिफिकेशन लागू होने के बाद यहां रिसाइकल पीवीसी मटेरियल से फुटवियर बनाना प्रतिबंधित हो जाएगा। साथ ही क्वालिटी पर भी अधिक जोर रहेगा। यानी वर्जिन पीवीसी मटेरियल के जूते-चप्पल ही बनाना होंगे।
इसकी टेस्टिंग के लिए अलग से लैब भी बनाना होगी। इसके चलते सूक्ष्म और लघु यूनिट वाले निर्माता सरकार के इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं। रि-साइकल पीवीसी के फुटवेयर इंदौर में बड़े पैमाने पर बनते हैं। बरसाती जूतों सहित बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, रोड कंस्ट्रक्शन में इस्तेमाल होते हैं।
दरअसल, सरकार ने ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) अनिवार्यता 1 जुलाई से लागू की है। शुरुआत में 5 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले फुटवियर निर्माताओं पर इसे लागू किया है। इस कदम के पीछे सरकार का उद्देश्य एक्सपोर्ट बढ़ाना है। भारत ऐसे देशों में चायना के सप्लाय को कम करना चाहता है।
वहीं 5 से 50 करोड़ टर्नओवर वाले लघु उद्योगों पर बीआईएस की अनिवार्यता 1 जनवरी 2024 से लागू किया गया है और 5 करोड़ से कम वाले टर्नओवर की जितनी भी सूक्ष्म यूनिट है, उन पर 1 जुलाई 2024 से इसे लागू किया जाएगा। इसमें क्वालिटी प्रोडक्ट बनाने पर जोर है लेकिन फुटवियर निर्माताओं का कहना है कि सूक्ष्य और लघु उद्योगों पर कुठाराघात किया गया है। जो छोटे चर्मकार है, उन्हें भी इसी दायरे में लाया जाएगा।