57 वर्षों बाद सावन की सवारी में सोमवती अमावस्या का योग
उज्जैन। श्रावण मास की दूसरी सवारी सोमवार को निकाली जायेगी। 57 वर्षो बाद दूसरी सवारी के साथ सोमवती अमावस्या को संयोग होने से प्रशासन के लिये भीड़ प्रबंधन करना चुनौती से कम नहीं होगा। वहीं क्षिप्रा के बढ़ते जलस्तर में श्रद्धालुओं को स्नाना कराना भी प्रशासन की जिम्मेदारी को बढ़ा देगा।
महाकाल लोक बनने के बाद बाबा महाकाल की नगरी में धार्मिक तीज-त्यौहार और पर्वो पर आस्था का सैलाब उमड़ता दिखाई दे रहा है। श्रावण-भादौ महोत्सव में प्रतिदिन डेढ़ से 2 लाख श्रद्धालु पहुंचे रहे है। सोमवार को बाबा महाकाल की दूसरी सवारी निकाली जायेगी। पहली सवारी में ही 3 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। दूसरी सवारी में 57 वर्षो बाद सोमवती हरियाली अमावस्या का संयोग होने से क्षिप्रा स्नान के लिये आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दो गुना हो जायेगी। पहले ही महाकाल विस्तारीकरण योजना में चल रहा निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है। महाकाल मंदिर क्षेत्र में लगातार भीड़ का दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सवारी और अमावस्या का नहान प्रशासन के लिये चुनौती भरा होने वाला दिखाई दे रहा है। प्रशासन के सामने एक चुनौती क्षिप्रा के बढ़ते जलस्तर से भी बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों से सबसे अधिक श्रद्धालु अमावस्या पर क्षिप्रा में आस्था की डूबकी लगाने पहुंचेगें। अभी क्षिप्रा का जलस्तर छोटी रपट से ऊपर चल रहा है। अगर आगामी 24 घंटे में झमाझम बारिश हुई तो क्षिप्रा छोटे पुल से ऊपर पहुंच जायेगी। जिसके चलते प्रशासन को क्षिप्रा स्नान पर प्रतिबंध लगाना पड़ जायेगा। जो श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचा सकता है। हालांकि प्रशासन ने अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है।