घोडारोज रूपी इस बीमारी से सोयाबीन की फसल पर आफत आई
रुनीजा। लगता है अन्नदाता के अच्छे दिन कभी आएंगे ही नही। रात दिन मेहनत कर अच्छी फसल की आस लगाने से पहले इनकी आशा निराशा में बदल जाती । ओर बेबस किसान भाई कुछ कर ही नही पाते।प्राकृतिक आपता तो कभी कभी आती है। परन्तु घोडारोज की आपता तो हमेशा मंडराती रहती ।और इसका किसी के पास कोई हल नही ।सरकार किसान भाइयों को इनसे मुक्ति न तो स्वयं दिला रही है। ओर न ही किसानों को इनसे निपटने की छूट दे रही है। अभी अच्छी बारिश के बाद किसान भाइयो ने समय पर खरीब की फसलें बोई ।ओर फसल भी अच्छी तरह से उग कर 20 ,से 25 दिन की हो गई परन्तु इन फसलों के उगते ही घोडारोज के झुंड नुकसान करने लग गए हैं। इस संदर्भ विश्व जीत सिह राठौर , श्याम धाकड़ , सुनील मेहता राधेश्याम साधु आदि किसानों बताया की अभी सोयाबीन की फसल अच्छी है। डोराई कर खरपरवार नाशक आदि का छिड़काव भी कर दिया। परन्तु अभी से घोडारोज फसलों को रौंदने लग गए। इसको लेकर सभी दूर निवेदन करनें के बाद भी कोई हल नही निकल रहा है। ये अब 40 , 50 झुंड में आकर नुकसान कर रहे हैं। इनको भगाने के लिए रात व दिन खेतो पर निगरानी करना पड़ रही है यह समस्या मात्र रुनिजा की ही नही है अपितु माधवपुरा , सुन्दराबाद ,मालगावड़ी , खेड़ावदा , बडगावा , मसवाड़िया प्रीतमनगर , रत्तागड खेड़ा , काछिबडोदा , या यूं कहें कु पूरा मालवा क्षेत्र इन बिन बुलाए मेहमानों से परेशान हैं।