शहरकाजी का आरोप समाज के वर्ग विशेष को पुलिस, प्रशासन और नगर निगम अफसरों ने निशाना बनाया

उज्जैन। उज्जैन शहर को गंगा जमुना तहजीब एवं भाईचारे के लिए जाना जाता है कुछ शरारती तत्वों ने झूठा वीडियो बनाकर शहर को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा और समुदाय विशेष के दो नाबालिग और एक बालिग युवक के खिलाफ पुलिस पर दबाव बनाकर केस दर्ज करवा दिया गया। पुलिस प्रशासन और नगर निगम के अफसरों ने भी बगैर जांच किए तीनों को दोषी मानते हुए उनका मकान तोड़ दिया। यह आरोप उज्जैन शहरकाजी खलीकुर्रहमान ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में लगाए।
उन्होंने कहा कि प्रशासन इस मामले की फिर से जांच करें और अगर जिन लोगों के मकान तोड़े गए वह निर्दोष हैं तो उनके मकान बनाकर दिए जाएं। शहरकाजी खलीकुर्रहमान ने दावा किया कि जिस आधार पर और जिन धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई जबकि नियम विरुद्ध जाकर निगम निगम के अधिकारियों द्वारा यह कार्यवाही की गई है। उन सभी अधिकारियों की निष्पक्ष जांच कराकर इन पर प्रकरण दर्ज किया जाए और प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि घटना वाले दिन इन्होंने महाकाल की सवारी में शामिल भक्तों थूकने के  मामले में निंदा की थी परंतु मीडिया के लोगों ने उस खबर को नहीं चलाया ।

उन्होंने कहा कि प्रशासन और पुलिस के अफसर न्यायपालिका बन गया और बगैर जांच किए हुए मकान तोड़ दिया ।उन्होंने सवाल किया कि अगर जर्जर मकान के नाम पर एक समुदाय विशेष के एक आरोपी का मकान तोड़ा गया तो महाकाल सवारी मार्ग में अनेक जर्जर मकान है उन्हें भी तोड़ा जाना चाहिए था परंतु नगर निगम के अफसरों ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए समाज विशेष के व्यक्ति का मकान तोड़ा गया।
की पिछली बार भी मुस्लिम समाज के एक जुलूस में नारेबाजी को लेकर प्रशासन और पुलिस ने एकतरफा कार्यवाही की थी बाद में कोर्ट ने उस केस को खारिज किया है इस बार भी इसी तरह का मामला होगा हमें कोर्ट पर भरोसा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है जो वीडियो जारी किए गए हैं उससे साबित नहीं होता कि यह घटना हुई है। इस दौरान मौलाना मोहम्मद इब्राहिम, मौलाना मोहम्मद अजीज, मौलाना मोहम्मद हुजैफा, आबिद मोहम्मद अय्यूब मुस्लिम समाज के पार्षद नेता मौजूद थे।

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