सूर्य संक्रांति नहीं होती इसलिए अधिकमास में नहीं होती शादियां

– 19 साल के बाद बना श्रावण मास में अधिकमास का योग 

– ये भगवान विष्णु का मास, धर्म-कर्म, दान-पुण्य का महत्व 

दैनिक अवंतिका उज्जैन।

19 साल के बाद इस बार अधिकमास श्रावण में आया है। इसलिए दो श्रावण होंगे। अधिकमास में शादी-ब्याह व अन्य कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इस महीने में सूर्य की संक्रांति नहीं होती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि धर्म-शास्त्रों में इस महीने को मलिन मास यानी मलमास कहा गया है। मल मास में मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के लिए भी मुहूर्त नहीं रहते हैं। नामकरण, यज्ञोपवीत जैसे संस्कार भी नहीं किए जाते हैं। अधिकमास में केवल भगवान विष्णु की ही आराधना होती है। यह धर्म-कर्म, दान-पुण्य का मास बताया गया है।

18 जुलाई को अधिकमास शुरू होते ही 

देशभर से उज्जैन में उमड़ने लगे श्रद्धालु

अधिकमास शुरू होते ही धार्मिक नगरी उज्जैन में देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां धार्मिक नगरी उज्जैन में उमड़ना शुरू हो गए हैं। इस बार श्रावण का अधिकमास 18 जुलाई से शुरू हुआ जो 16 अगस्त तक रहेगा। अधिकमास में उज्जैन में 84 महादेव, 7 सागर व 9 नारायण की पूजा का महत्व होने से श्रद्धालु पहले यहीं पर दर्शन-पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। इसके बाद महाकाल, गोपाल मंदिर व अन्य मंदिरों में जा रहे हैं।

भगवान विष्णु ने मलमास

को ऐसे दिया अपना नाम

कथा अनुसार अधिक मास को शुभ नहीं माना जाता था। इस कारण कोई भी देवता इस महीने का स्वामी बनने को तैयार नहीं था। तब अधिक मास ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की तो विष्णु ने इस महीने को खुद का सर्वश्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम दिया। तब से इस मास को पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाना लगा। इस महीने में भागवत कथा, मंत्र जप, पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि  करना शुभ रहते हैं।