दिव्य दर्शन भवन के नवनिर्मित अनुभूति सभागृह में परम तपस्वी राजयोगी सूर्य भाई द्वारा दो दिवसीय योग तपस्या कार्यक्रम
रतलाम। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय डोंगरे नगर स्थित दिव्य दर्शन भवन सेवा केंद्र पर माउंट आबू से पधारे परम तपस्वी राजयोगी सूर्य भाई, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी गीता दीदी, ब्रह्माकुमार रोहित भाई, इंदौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी, भिलाई क्षेत्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी, ब्रह्माकुमारी अनीता दीदी, सविता दीदी द्वारा दीप प्रज्जवलन कर शिवध्वजारोहण कर योग तपस्या कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। योग तपस्या कार्यक्रम के पहले दिन राजयोगी सूर्य भाई जी द्वारा सभी को अनेक स्वमान का अभ्यास कराया कि हम परमात्मा पिता के श्रेष्ठ संतान है, महान है, मनुष्य ही एक विवेकशील प्राणी है लेकिन आज हमारी बुद्धि को स्वच्छ बनाने की आवश्यकता है, मैं विजयी रत्न हूं, क्रोध मुक्त हूं, सफलतामूर्त हूं, ऐसे स्वमानो के अभ्यास से हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने बताया कि दुयाएं देना और दुयायें लेना है, दुयाएँ हमारे जीवन की ऐसी जमा पूंजी है जो हमे जरूरत के समय काम आती है, दुआएं हम तभी दे सकते जब हमारे अंदर शुभ भावना देने के संस्कार हो, गुणों को देखने की आदत हो। दुयायें प्राप्त करने का माध्यम है अच्छे कर्म, श्रेष्ठ कर्म। ब्रह्माकुमार रोहित भाई जी द्वारा सभी को आत्मिक स्थिति का अभ्यास, चार धाम की यात्रा का अभ्यास कराया गया। आपने सभी को क्रोध मुक्त होने के बहुत सुंदर अभ्यास कराया गया।
योग तपस्या के दूसरे दिन ब्रह्माकुमारी संस्थान की राजयोगिनी मनमोहनी दीदी जी की पुण्य स्मृति दिवस मनाया गया।
राजयोगी सूर्य भाई जी ने बताया कि जीवन में आने वाले छोटे बढ़े सभी समस्या का समाधान हमारे विचारों के द्वारा ही होता है, शुभ संकल्पों में इतनी ज्यादा शक्ति होती है जो बड़े से बड़े बीमारी को भी ठीक कर सकते हैं। ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने बताया कि जिस घर में भगवान को भोग लगाया जाता है, उस घर में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है, और यही हमारे जीवन के मुश्किल घड़ी में काम आती है।