स्वतंत्र भारत में प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा विषय पर संगोष्ठी संपन्न
देवास । 28 जुलाई को श्री कृष्णाजीराव पवार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयुक्त उच्च शिक्षा मध्यप्रदेश के आदेशानुसार आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत माह जून की संगोष्ठी स्वतंत्र भारत में प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा विषय पर आयोजित की गयी। प्राचार्य डॉ. आर.एस.अनारे की अध्यक्षता में सम्पन्न संगोष्ठी की मुख्य वक्ता विभागाध्यक्ष हिन्दी डॉ. ममता झाला रही। अमृत महोत्सव जिला नोडल अधिकारी डॉ. आर.के.मराठा, महाविद्यालय नोडल अधिकारी डॉ. रश्मि ठाकुर, डॉ.सीमा सोनी, डॉ. जरीना लोहावाला, डॉ. लता धूप करिया ने मंच साझा किया। संगोष्ठी का आरम्भ मॉ सरस्वती के पूजन एवं दीप-प्रज्जवलन से हुआ। मंचासीन विद्वत प्राध्यापकों एवं सदन में उपस्थित प्राध्यापकों का शब्द सुमन से स्वागत किया गया। विषय विशेष पर प्रकाश डालते हुए मुख्य वक्ता डॉ. ममता झाला ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा अति समृद्ध, अप्रतिम और अमूल्य हैं। यह अद्वितीय ज्ञान और प्रज्ञा का प्रतीक है। लगभग 5000 वर्ष पुरानी यह ज्ञान परम्परा लोक मंगलकारी रही हैं। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को समाहित किये हुए यह ज्ञान परम्परा व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को विकसित करती हैं, जो कि वर्तमान संदर्भ में छात्र वर्ग के लिए अत्यधिक लाभप्रद है। आवश्यकता इस बात की हैं कि छात्र भारतीय ज्ञान परम्परा को समझे व व्यवहार में लाए।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. आर.एस.अनारे ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा नए विचारों और नवाचार के निर्माण को प्रोत्साहित करती हैं। विद्यार्थी वर्ग को इस ज्ञान परम्परा से परिचित होना अत्यधिक आवश्यक हैं। आयोजित संगोष्ठी में डॉ. राकेश कोटिया, डॉ. ललिता गोरे, डॉ.ओ.पी.शर्मा, डॉ.खुशबु बैग, डॉ. कैलाश यादव, डॉ. हेमन्त मंडलोई, डॉ. श्यामसुंदर चौधरी की गरिमामय उपस्थिति रही।