ज्ञान और दान योग्य व्यक्ति को ही देना चाहिए-कश्यप
रुनिजा । शिव पुराण शिक्षा है , साकार है, निराकार है ,और भगवान शिव का स्वरूप है। 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मानव योगी मिलती है जिसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है इसे भोजन में नहीं भजन और सत्संग में लगाएं । उक्त सार: गर्भित बात हरिद्वार से पधारे ब्रह्म ऋषि पंडित हेमंत कश्यप द्वारा योग चेतना विज्ञान धर्मार्थ सेवा संस्थान बालाजी धाम रुनिजा में साकेत वासी, ब्रह्मलीन, श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर योगीराज गरुड़ दास जी की पुण्य स्मृति में महंत श्री भरत दास जी महाराज व बदरिकाश्रम से पधारे सन्त शीतल दास महार द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय शिवपुराण महोत्सव के अवसर पर व्यासपीठ से तीसरे दिवस की कथा में कही।
आपने देवी सती व शिव विवाह के साथ दक्ष के अभिमान का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि हमेशा दान और ज्ञान योग्य व्यक्ति को ही देना चाहिए ताकि वह भजन और सत्संग कर सके। अपना जीवन भगवान भक्ति में लगा सके। यदि भगवान से मांगना ही है तो धन दौलत नहीं, भक्ति मांगो , भजन मांगो, सत्संग मांगों , भक्ति से शक्ति मिलती है शक्ति से शिव। कथा तीसरे दिवस पर कथा के मुख्य जवान नंदराम रामचंद्र धाकड़ एवं सहयोग यजमान लालचंद भेरूलाल राठौड़ , एवं भेरूलाल धाकड़ ने स पत्नी व्यासपीठ का पूजन अर्चन कर आरती का लाभ दिया। इस अवसर पर सिमलावदा, धमाना सार: आयव शिव भक्तों ने व्यास पीठका पूजन कर कथा व्यास व महंत भरत दासजी महाराज एवं शीतल दास जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर चामुण्डा विकास समिति खव सयोजक अशोक वैष्णव , डॉ देवेंद्र शर्मा आदि ने शिव पुराण व्यासपीठ का पूजन कर आरती का लाभ लिया।