मुझे जनसंघ में बुलाया था पर मैं गया नहीं,,मेरे पिताजी जनसंघी नहीं थे- दिग्विजय

 

इंदौर। राजमाता सिंधिया के साथ मुझे भी जनसंघ में शामिल करने के प्रयास हुए थे। कुशाभाऊ ठाकरे और कैलाश सारंग ने दो-तीन बैठकें भी की थीं, लेकिन मैं जनसंघ में शामिल नहीं हुआ। लोग यह भ्रांति भी फैलाते हैं कि मेरे पिता जनसंघी थे, जबकि यह बिल्कुल गलत है। मेरे पिता ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जनसंघ तथा कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों को हराया था।
इसका मतलब यह बिलकुल नहीं कि वे जनसंघी थे। मणिपुर में जो कुछ हो रहा है, वह देश के लिए घातक है। ऐसा सब जगह हो सकता है। मेरा तो कहना है कि पार्टी बदलने वाले को अगले चुनाव यानी कम से कम छह वर्ष के लिए किसी भी चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर देना चाहिए।

पौधा कोई लगाता है, फल कोई और खाता है

दिग्विजय सिंह ने कहा कि जो योजनाएं कांग्रेस के समय में बनी, जिन पर कांग्रेस के समय में काम हुआ, उनका उद्घाटन भाजपा सरकार कर रही है। यह पुरानी कहावत है कि पौधा कोई और लगाता है और फल कोई और खाता है। हमने जो बिजली प्लांट लगाए थे, उनका उत्पादन शुरू होने के बाद ही प्रदेश बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ है।

गुरु दक्षिणा दो फिर बताऊंगा

एआईपीसी के प्रदेशाध्यक्ष बागडिया ने जब दिग्विजय सिंह से पूछा कि 75 वर्ष की उम्र में भी वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ कैसे हैं तो सिंह ने कहा कि जब भी कोई यह सवाल पूछता है तो मैं कहता हूं कि पहले सवा रुपये गुरु दक्षिणा दो। इसके बाद ही बताऊंगा। किसी के पास 25 पैसे खुले होते नहीं और मैं बताता नहीं।