तप से आत्मा शुद्ध होकर सिद्ध आत्मा बन सकती है
खाचरोद । जिन शासन में छोटे से तप का इतना महत्व है कि आत्मा शुद्ध होकर सिद्ध आत्मा बन सकती है। इस जीवन में पूर्व जन्म में बंधे कर्मों की निर्जरा हम तप आराधना के माध्यम से कर सकते हैं लेकिन तपस्या करना हर किसी के बस की बात नहीं है। तपस्या वही कर सकता है जो जीवन में रसेंद्रिय का स्वाद छोड़ सकता है। तपस्या से भव के कर्मों की निर्जरा होती है, तपस्या वीरों का आभूषण है एवं देव भी तपस्वी को वंदन करते हैं। यह बात श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाशमुनिजी म.सा. ने मासक्षमण तपस्वी कु. रक्षिता राकेश चंडालिया के तप अभिनंदन समारोह में महावीर भवन में कु. रक्षिता की तपस्या पूर्ण होने पर स्वनिवास से ढोल-ढमाके और बैंड बाजे के साथ वरघोड़े की शुरूआत हुई जिसमें बड़ी संख्या में परिवारजन एवं समाजजन सम्मिलित हुए। तपस्विनी रक्षिता बग्गी में विराजमान थी। नगरवासियों ने अभिनंदन किया।
रक्षिता हाथ जोड़कर अभिवादन स्वीकार कर आशीर्वाद प्राप्त कर रही थी। चल समारोह में तपस्वी अमर रहे… तपस्या करने वाले को… धन्यवाद… के जयकारे गुंजायमान हुए। चल समारोह महावीर भवन पहुंचकर धर्मसभा व अभिनंदन समारोह में परिवर्तित हुआ। स्थानकवासी संघ अध्यक्ष मनोहरलाल भटेवरा चातुर्मास समिति अध्यक्ष पारस सिसोदिया, संतोष बरखेड़ावाला, मनोज श्रीश्रीमाल, श्रेणिक खेमसरा, राजेंद्र छाजेड,चंद्रप्रकाश चंडालिया, अनिल केराफ आदि कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा बहुमान किया गया । डॉ नेहा चंडालिया ,ममता एवं प्रणिता मण्डलेचा, आभा कोठारी, रिया श्रीश्रीमाल ने भाव पूर्ण स्तवन प्रस्तुत किया े सभा में आभार चातुर्मास सचिव राकेश चंडालिया ने मानो इस अवसर पर 12 से अधिक श्रीसंघ पु. गुरुदेव के दर्शन हेतु पधारे े सभा का संचालन संघ सचिव महेंद्र चंडालिया ने किया े आज ही सोनल शुभम बरखेडावाला के 31 एवं राजनंदिनी सोरभ बुपकिया के 26 उपवास एवं अन्य कई तपस्या गतिमान है े प्रतिदीन प्रवचन वाणी में बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओ द्वारा धर्म आराधना की जा रही है साथ ही तपस्या के निमित्त चोबिसी के आयोजन प्रतिदीन हो रहे है े