युग जीवन चातुर्मास महोत्सव अंतर्गत दो दिवसीय संगोष्ठी सम्पन्न
प्रभु श्रीराम का प्रत्येक कार्य मानव मात्र के लिए शिक्षाप्रद
बड़नगर । सुशासन की सर्वाेत्कृष्ट स्थिति रामराष्ट्र की अवधारणा है। प्रभु श्रीराम का प्रत्येक कार्य मानवमात्र के लिए शिक्षाप्रद है। विश्व के लिए परम कल्याणकारी है। आज आवश्यकता है कि मनुष्य जाति राम के संदेशों का मर्म समझ कर अपने जीवन को सार्थक करे।
उक्त विचार साहित्यकार डॉ. संजीव कुमार तिवारी ने युग जीवन चातुर्मास महोत्सव अंतर्गत राम-राष्ट्र मंथन पर आधारित द्वि-दिवसीय संगोष्ठी के प्रथम दिवस के प्रथम सत्र में व्यक्त किए। आयोजक रामद्वारा खाचरौद के प्रमुख संत रामानुराग रामस्नेही ने अतिथियों का स्वागत-सम्मान किया। इस सत्र में निम्बाकार्चार्य स्वामी गौरांगशरण देवाचार्य निदेशक-निम्बार्क शोध संस्थान हिम्मतनगर गुजरात की सारस्वत उपस्थिति में युवा संत विवेक ब्रह्मचारी नागपुर, दिलीप भाई शाह राज्य प्रमुख गुजरात पशु कल्याण बोर्ड अहमदाबाद, गुलाराम रामनामी जनरल सेक्रेटरी रामनामी संप्रदाय (छग) ने भी रामराष्ट्र मंथन संगोष्ठी में सहभागिता की। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रकिंकर पत्रिका दिल्ली के संपादक डॉ. विनोद बब्बर द्वारा की गई। डॉ. तिवारी ने प्रभु-संदेश के रूप में हनुमानजी के चरित्र की नवीन व्याख्याएं प्रस्तुत कीं। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में संत, प्रबुद्धवर्ग रामानुरागी श्रोता उपस्थित थे।