कागज की नाव में कागज का अपना महत्व-सत्तनवरिष्ठ साहित्यकार आशीष त्रिवेदी ‘सरल’ की दो पुस्तकों का लोकार्पण
इंदौर । बुधवार को दुआ सभागृह में आशीष त्रिवेदी ‘सरल’ की दो पुस्तक ‘कागज की कश्ती’ और ‘विस्डम जेम्स’ का लोकार्पण समारोह राष्ट्रीय कविवर सत्यनारायण सत्तन की अध्यक्षता एवं वरिष्ठ कवि प्रभु त्रिवेदी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुआ।
इस अवसर पर कवि सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि कागज की नाव में कागज का अपना महत्व है। बुरा लिखो, अच्छा लिखो सब ग्रहण करता है। कार्यक्रम का प्रारंभ खचाखच भरे सभागृह में दीप प्रज्जवलन और सुमधुर सरस्वती की सुमधुर वंदना के पाठ से हुआ। पुस्तकों के रचयिता आशीष त्रिवेदी ने इन पुस्तकों की रचना, उनका उद्देश्य, और इनकी उपादेयता पर अपने विचार प्रकट किये। पुस्तक ‘कागज की कश्ती’ की विस्तृत समीक्षा वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती ज्योति जैन और कवि रामनारायण सोनी ने की तथा ‘विस्डम जेम्स’ की समीक्षा फॉ. जेकब ने की। साथ ही सदन में डॉ. अमितसिंह बरफा, स्पेशलिस्ट इन इन्डो क्राइनोनॉजिस्ट का भी स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि प्रभु त्रिवेदी ने उद्बोधन में ‘कागज की कश्ती’ की विषय वस्तु, भावपक्ष, समाविष्ट कविताओं की संवेदनात्मकता और उनकी सामयिक महत्ताओं का गहन और सूक्ष्म विवेचन किया।
कविवर सत्यनारायण सत्तन ने अपनी ओजस्वी वाणी में प्रसाद की कामायनी से उद्धृत प्रलय के पश्चात मनु सत्रूपा की नौका के जलप्लावन का बिम्ब प्रस्तुत कर उसे कागज की कश्ती में समाहित चेतना का विस्तार बताया। उनके अनुसार कागज की नाव का में कागज का अपना महत्व है। यही वह आधार है जिस पर शास्त्र लिखो, बुरा लिखो अच्छा लिखो सब ग्रहण भी करता है, वरण भी करता है, और नौका बनी तो तरण भी करता है। कागज की नाव आशा, विश्वास, प्रेम, संप्रेषण और संभावनाओं का आधार ले कर तैर जाती है। आशीष त्रिवेदी का यह कविता संग्रह इन आयामों का उद्घोष है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रीति दुबे ने किया तथा आभार वरिष्ठ हास्य कवि प्रदीप नवीन ने अपनी सुपरिचित काव्यशैली में माना।