श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह में जमकर झुमे बाराती
रुनिजा । सुंदराबाद में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के पंचम दिवस पंडित कैलाश नारायण जी शर्मा ने रुकमणी मंगल का बहुत ही मार्मिक चित्रण करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण से रुकमणी जी कहती है कि ‘हे नंद-नंदन! आपको ही पति रूप में वरण किया है। मैं आपको छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती, मेरे पिता मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहते हैं। विवाह की तिथि भी निश्चित हो गई। मेरे कुल की रीति है कि विवाह के पूर्व होने वाली वधु को नगर के बाहर गिरिजा का दर्शन करने के लिए जाना पड़ता है। मैं भी विवाह के वस्त्रों में सज-धज कर दर्शन करने के लिए गिरिजा के मंदिर में जाऊंगी। मैं चाहती हूं, आप गिरिजा मंदिर में पहुंचकर मुझे पत्नी रूप में स्वीकार करें।
यदि आप नहीं पहुंचेंगे तो मैं आप अपने प्राणों का परित्याग कर दूंगी। श्रीमद्भागवत महापुराण में श्री कृष्ण और रुक्मणी का विवाह किया गया। इस विवाह के साक्षी ग्रामीण जन बने भगवान श्री कृष्ण की मनमोहक झांकी बारात गांव के मुख्य मार्गो से निकली। जिसमें पण्ड्या परिवार के साथ ग्राम वासी , व माता बहनों नृत्य कर रही थी। पंडित ब्रह्मदत्त शर्मा एवम आदित्य शर्मा ने मंगलाचार का उच्चारण किया। गांव की प्रथम नागरिक सरपंच श्रीमती ज्योति पंड्या ने बारात की अगवानी की एवम महिला मंडल के साथ बारात का स्वागत किया।