एन एस एस इकाई के विद्यार्थियों ने ऐतिहासिक विरासत फांसी बैडी को देखाबदहाली पर जताया दु:ख की जीर्णोद्धार की मांग
मण्डलेश्वर । शासकीय महाविद्यालय की एन एस एस इकाई के विद्यार्थियों ने ऐतिहासिक विरासत फांसी बैडी को देखा । एन एस एस की कार्यक्रम अधिकारी प्रो चेतना सिद्धड़ के साथ स्वयं सेवक विधि कोठारी दिव्या चौबे निकिता यादव वंदना गांगले कृष्णा मंसारे महेश मोहनिया हिमांशु फागना विवेक कड़ोले एवं लोकेन्द्र प्रजापति ने निमाड़ की ऐतिहासिक विरासत को देखा इन विद्यार्थियों ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि इस स्मारक तक पहुंच मार्ग भी नही है कटीली झाड़ियों के बीच से निकलना होता है यहां तक पक्की सड़क बनना चाहिय । मेरा देश मेरी माटी योजना के तहत कॉलेज के विद्यार्थी अपने क्षेत्र के ऐतिहासिक स्थलों को देख रहे है । इतिहास के जानकार दुर्गेश कुमार राजदीप ने विद्यार्थियों को फांसी बैडी का इतिहास बताते हुए कहा कि 1857 की क्रांति की आग पूरे देश मे फैल गई थी इससे निमाड़ भी अछूता नही रहा उस समय यहाँ घुड़सवार और पैदल सेना तैनात थी यहां भी चर्बी वाले कारतूस का विरोध चल रहा था ।
लेकिन यहां अंग्रेजो ने एक बड़ी साजिश की थी निमाड़ के रॉबिन हुड के नाम से मशहूर भीमा नायक को पकड़ने में नाकाम अंग्रेज भीमा नायक की माँ को पकड़ कर ले आये और मण्डलेश्वर किले में यातना देकर उसे मार दिया था इसकी खबर जब भीमा के साथियों को लगी तो उन्होंने 3 जुलाई 1857 को मण्डलेश्वर पर आक्रमण कर दिया और किले पर कब्जा कर लिया था उसके बाद अंग्रेजो की बड़ी फौज ने मण्डलेश्वर किले पर फिर से आक्रमण कर यहाँ से कई क्रांतिकारियों को पकड़कर नर्मदा किनारे जंगल में पेड़ो पर लटकाकर फांसी दी थी उसी स्थान पर फांसी बैडी स्मारक बना है ।