व्यवसाय मिला तो रहवासियों की परेशानी बढ़ी,शासन राजस्व की अनदेखी

महाकाल लोक बना ,शहर चला

रहवासी क्षेत्रों में हर दो चार घर छोड़कर होटल व्यवसाय,रहवासी क्षेत्र का व्यवसायिक उपयोग,पर्यटकों की भीड़ से दो चार हो रहे रहवासी

उज्जैन। महाकाल लोक बनने के साथ ही क्षेत्र की संपत्तियों के दाम आसमान पर चढ़ गए हैं और रहवासी क्षेत्र का उपयोग व्यवसायिक जमकर हो रहा है।इसके कारण से क्षेत्र के अन्य रहवासी परेशान हैं।अगर कोई न्यूटल है तो वो हैं शासन के राजस्व वसूलीकर्ता । पूरी तरह से शासन राजस्व को लेकर अनदेखी की जा रही हैं।महाकाल लोक बन जाने से लोग कमा रहे हैं और शासन का प्रशासन अमला देख रहा है।

अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक के प्रथम चरण का लोकार्पण होने के साथ ही महाकाल क्षेत्र में पर्यटकों का जमकर आगमन हो रहा है।महाकाल मंदिर के अधिकृत सूत्रों की माने तो पिछले 40 दिनों में ही एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का आगमन भगवान के दर्शन के लिए हुआ है।महाकाल लोक के प्रारंभ होने के साथ ही क्षेत्र में यात्रियों को होटल एवं ठहरने के स्थानों की कमी सप्ताह के शनिवार,रविवार,सोमवार को पड़ रही है।ऐसी स्थिति में महाकाल से लेकर ढाबारोड़ एवं जयसिहंपुरा से मुल्लापुरा,हरिफाटक से लेकर मालीपुरा तक आवासीय क्षेत्रों में छोटे –छोटे गेस्ट हाउस घरों में खोल दिए गए हैं। कई मकानों में व्यवसायिक दुकानें स्थापित कर ली गई हैं। प्रशासनिक नियमों के विपरित आवासीय क्षेत्र का व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है।
इसके कारण से क्षेत्र में आवासीय उपयोगकर्ता रहवासी परेशान हैं।उनका सामान्य रहवास में इससे बाधा पहुंच रही हैं।यही नहीं रहवासियों के आवागमन एवं अन्य समस्याएं मूह खोल रही है।कतिपय लोगों ने अपने आवासीय क्षेत्र को व्यवसायिक में तब्दील कर लिया लेकिन राजस्व विभाग और नगर निगम अपने राजस्व को लेकर नजरअंदाजी पर ही है।न तो राजस्व विभाग ने आवासीय मकानों के व्यवसायिक उपयोग को लेकर नोटिस जारी करते हुए न तो उनसे आवासीय भवनों के उपयोग के डायवर्शन करते हुए राजस्व शुल्क के लिए नोटिस ही दिए जा रहे हैं और न ही नगर निगम की और से सीधे तौर पर संपत्तिकर उपयोग को लेकर ही नोटिस जारी किए गए हैं। इसके चलते शासन के पंजीयन मुद्रांक विभाग को भी राजस्व की हानि हो रही है।
राजस्व विभाग में डायवर्शन होने की स्थिति में पंजीयन विभाग को भी शुल्क की प्राप्ति होगी।इसके साथ ही नगर निगम में व्यवसायिक स्तर पर पंजीयन होने की स्थिति में संपत्तिकर की प्राप्ति हो सकेगी।सहायक पंजीयक विजय घाटपांडे ने बताया कि पंजीयन विभाग दस्तावेज लेखन के आधार पर पंजीयन शुल्क लेता है।आवासीय से व्यवसायिक उपयोगकर्ता को पहले राजस्व विभाग में संबंधित भूमि भवन का उपयोग परिवर्तन करवाना होता है उसके बाद पंजीयन विभाग में प्रक्रिया पर शुल्क देय होगा। इस मामले में जोन 3 के राजस्व शाखा सहायक संपत्तिकर अधिकारी से उनके मोबाईल नंबर पर कई बार संपर्क करने के प्रयास किए गए ।हर बार मोबाईल की रिंग बजती प्रति उत्तर नहीं आया।नगर निगम के अपर आयुकत आदित्य नागर का कहना है कि अभी जीआईएस सर्वे चल रहा है।इसके साथ ही कर विवरणी को लागू किया जा रहा है।

 

-मैं पूरे मामले को पटवारी एवं राजस्व अमले से दिखवा लेता हुं।

-एल एन गर्ग,एसडीएम शहर उज्जैन