अधूरा ज्ञान काल का कारण बन जाता है- वीरेंद्र शर्मा

रुनीजा ।  शिव को साधना व भक्ति से पाया जा सकता है ।जिसके मन में शिव का वास नहीं है वह शव समान है। अधूरा ज्ञान काल का कारण बनता है। बिना सतगुरु के भवसागर से पार नहीं पाया जा सकता है। यदि नारद जैसा गुरु जीवन मे मिल जाए तो जन्म जन्मांतर का भय मिट जाता है। उक्त बात रतलाम से पधारे प्रसिद्ध भागवताचार्य पंडित वीरेंद्र शर्मा ने गुजराती रामी माली समाज रुनीजा द्वारा आयोजित शिव महापुराण महोत्सव के तीसरे दिवस के अवसर पर व्यासपीठ से कही। आपने कहा की माता सती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन साधना की थी और शिव को ही जन्म जन्मांतर तक अपने पति के रूप में पाया। अहंकार और अज्ञान यह दोनों विनाश के कारण बनते हैं राजा दक्ष को अहंकार हो गया था और उन्होंने भगवान भोलेनाथ का अपमान किया इसके कारण उनका विनाश हुआ ।यदि भवसागर से पार होना है तो सच्चे गुरु का होना जीवन में आवश्यक है।

आपने बताया कि शिव रात्री को बाबा महादेव का प्राकट्य हुआ था। इस दिन शिव साक्षात साकार रूप में प्रकट हुए थे ।विवाह नहीं हुआ था ये भ्रम फैलाया गया कि शिव रात्री को शिवजी का विवाह हुआ था।
तीसरे दिवस को शिवमहापुराण , व्यास पीठ पूजन व आरती और प्रसादी के लाभार्थी परमार परिवार के भरत परमार और विष्णु परमार ने पूजा व आरती व प्रशादी वितरण का लाभ लिया। आज
चौथे दिवस के महोत्सव शिव ,पार्वती विवाह बड़े धूम धाम से मनाया जाएगा।

 

You may have missed