जिले में कांग्रेस से तीन को हरी झंडी,चार पर होगा मंथन

उज्जैन। बीते चुनाव में कुछ सीटों की कमी की वजह से पूर्ण बहुमत पाने से वंचित रह गई कांग्रेस उज्जैन जिले में तो बहुमत में रही। इस बार भी इस बहुमत के लिए कांग्रेस में जोरदार मंथन हो रहा है।ये अलग बात है कि अभी चार में से तीन विधानसभा क्षेत्रों में ही सिटिंग एमएलए को ही करीब करीब हरी झंडी दी जा चुकी है और शेष चार पर मंथन के बाद ही नाम तय होंगे।

कांग्रेस इस बार सभी खामियों को दूर कर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।इसके लिए दिग्गजों का मंथन और सर्वे का निचोड़ भी लिया जा रहा है।अंदरखाने से निकलकर आ रही बातों के आधार  पर कहा जा रहा है कि बहुमत की जीत के क्रम में अब पार्टी ने तय किया है कि, इस बार लगातार हार की हैट्रिक लगा चुके पार्टी नेताओं को प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। दरअसल इस तरह के कई दावेदार सामने आ रहे थे, जिसके बाद प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने ऐसे दावेदार नेताओं को साफ कर दिया है कि उन्हें  इस बार पार्टी टिकट की मांग पर ना-ना ही करने वाली है। इसके इतर कांग्रेस  ने अपने प्रत्याशियों को चुनावी प्रचार के लिए अधिकाधिक समय देने के लिए करीब अधिकांश सिटिंग एमएल और टिकट के दावेदारों को चुनावी तैयारी करने के लिए मैदानी स्तर पर मोर्चा सम्हालनें के संकेत दे दिए हैं। यह वे चेहरे हैं, जो पार्टी के साथ ही कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में सबसे अच्छे दावेदार बनकर सामने आए हैं। इनमें वे सीटें भी हैं जहां पर पार्टी प्रत्याशियों को 2018 के चुनाव में मामूली अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा था। ये बात भी सामने आ रही है कि पार्टी ने करीब डेढ़ दर्जन मौजूदा विधायकों के टिकट काटने की तैयारी करते हुए वहां दावेदार दमदार विकल्प की तलाश पर मंथन शुरू कर दिया है। पार्टी ने इनके लिए विकल्प भी रखा है जिसमें अगर चुनावी तारीखों की घोषणा तक उनकी स्थिति अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में नहीं सुधरी तो फिर उनका टिकट कटना तय है। यही वजह है कि ऐसे सिटिंग एमएलए के नाम अभी होल्ड पर रखे गए हैं। यही नहीं भाजपा से कांग्रेस में आए कई नेताओं के दम और जनता में दमदारी की धरातल को भी जांचा जा रहा है जिससे की इलाके में उनकी पकड़ को देखते हुए पार्टी में विचार मंथन किया हो सके।यही कारण है कि भाजपा सहित कुछ अन्य दलों के नेताओं के कांग्रेस में आने की संभावना को देखते हुए कांग्रेस ने कुछ सीटों पर अभी कोई नाम तय नहीं किया है।कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि तीन चरणों में प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी। पहले चरण में उन उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जाएंगे, जहां प्रत्याशी के नाम को लेकर विरोध नहीं है।
इस बात को लेकर भी यह तय माना जा रहा है कि 2018 में जिन सीटों पर  कांग्रेस की हार हुई उन सीटों पर कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की घोषणा पहले कर सकती है, जिससे उसके प्रत्याशियों को जनसंपर्क के लिए ज्यादा समय मिल सके। कांग्रेस ने इस बार के विधानसभा चुनाव को लेकर खास रणनीति बनाई है। कांग्रेस का कहना है कि कुछ विधानसभा सीटों के लिए कैंडिडेट्स पहले ही घोषित कर दिए जाएंगे। जिससे कैंडिडेट्स का अधिक से अधिक चुनाव प्रचार और जनसंपर्क के लिए समय मिल सके। कैंडिडेट्स को घोषित करने के लिए कांग्रेस ने कई स्तर पर सर्वे कराया है।

भाजपा में उज्जैन से दिग्गज आ सकते हैं मैदान में-

विधानसभा चुनाव में उज्‍जैन संभाग की 29 सीटों को लेकर भाजपा भी पूरे जोर लगाने की रणनीति पर अमल करने वाली है।इसके लिए पार्टी विभिन्न समीकरणों को लेकर चल रही है।उज्जैन संभाग मालवा के गढ़ के रूप में देखा जाता है और भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि संभागीय मुख्यालय या रतलाम के आसपास से भाजपा के किसी दिग्गज नेता को यहां से चुनाव लड़ाया जा सकता है। इससे चुनाव के दरमियान भी पूरी नजर बनी रहेगी और इन 29 सीटों की एक धूरी भी तय कर दी जाएगी जिससे की पार्टी को नुकसान पहुंचाने वालों को साधा जा सके और नुकसान के मुद्दों पर तत्काल ही नियंत्रण किया जा सके।अंदर ही अंदर चल रही इस चर्चा को समीकरण के रूप में भी देखा जा रहा है।सूना तो यहां तक जा रहा है कि इंदौर के एक भारी नेता को इस जिम्मेदारी के तहत मैदान में उतारा जा सकता है ।उज्जैन उत्तर विधानसभा सीट को इसके लिए उपयुक्त  माना जा रहा है।

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