आपराधिक कानूनों को बदलने पर इंदौर में मनाया जाएगा कानूनी स्वतंत्रता दिवस
इंदौर । न्याय के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था न्यायाश्रय ने आपराधिक कानूनों को बदलने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है। संस्था लंबे समय से केंद्रीय गृहमंत्री और कानून मंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर अंग्रेजों के जमाने में बने इन कानूनों को रद करने की मांग करती रही है। संस्था के अध्यक्ष एडवोकेट पंकज वाधवानी ने कहा कि भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर ब्रिटिश शासन की छाप आज भी दिखाई पड़ती है।
इस वजह से भारतीय दर्शन पर आधारित न्याय व्यवस्था की स्थापना के लिए इन कानूनों का बदला जाना आवश्यक था। केंद्र द्वारा इस वर्ष सदन में प्रारूप पेश किए गए हैं। यह सराहनीय है। इसके लिए संस्था न्यायाश्रय केंद्र को साधुवाद प्रेषित करेगी और इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस को कानूनी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाएगी।
अंग्रेजों ने अपने मुताबिक बनाए थे कानून
वाधवानी ने कहा कि वर्ष 1860 में बने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के कानूनी प्रविधान पूरी तरीके से अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए बनाए थे। इसी तरह दंड प्रक्रिया संहिता और एविडेंस एक्ट को भी अंग्रेजों ने अपने हिसाब से बनाया था। आश्चर्य की बात है स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी भारत में यही कानून चलते रहे हैं। इसे बदलने को लेकर शासन ने पहले कदम क्यों नहीं उठाए यह समझ से परे है। वर्ष 2015 में संस्था अपनी स्थापना के बाद से लगातार आइपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में बदलाव की मांग करती रही है। संस्था ने कई बार पत्राचार भी किए। कई बार संशोधन के लिए प्रतिवेदन इत्यादि प्रेषित किए थे। अब जब आपराधिक कानून परिवर्तित हो रहे हैं तो यह प्रसन्नता की बात है। संस्था इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस को कानूनी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाएगी।