निशुल्क पाठ्य पुस्तक परिवहन में 10 लाख रूपए के घोटाले का आरोप

देवास ।  सत्र 2023-24 में नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक परिवहन में 10 लाख रूपए के घोटाले का आरोप सामाजिक कार्यकर्ता योगेश निगम ने लगाते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। निगम ने बताया कि शासन स्तर से प्रतिवर्ष लाखों रुपये की राशि परिवहन के नाम से आती है। जिसके बाद स्कूलों में प्रतिवर्ष शिक्षकों को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक बी.आर.सी. कार्यालय से दी जाती है और फर्जी बिल लगाकर राशि निकाल ली जाति है। सत्र 2023-24 मे निशुल्क पाठ्य पुस्तक परिवहन घोटाले की शिकायत होने पर पहले चरण मे निशुल्क पाठ्य पुस्तक स्कूलों तक पहुँचाई गई। जैसे ही मामला शांत हुआ तो दूसरे चरण मे फिर संकुलों पर शिक्षकों को बुलाकर नि: शुल्क पाठ्य पुस्तक शिक्षकों को दी जा रही है। जन शिक्षा केन्द्र शा.उ. माध्यमिक विद्यालय क्षिप्रा में जहां शिक्षकों को संकुल पर बुलाकर नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक दी जा रही है।
जबकि नियम यह है कि परिवहन के माध्यम से संकुल के विद्यालयों में पुस्तकों पहुंचाना था। इन पुस्तकों को बाटने के लिए शिक्षक इस्माइल घोर मारे शा. मा. विद्यालय टिमरनी, जितेंद्र चौधरी शा. प्रा. विद्यालय रेवाड़ी, भेरूलाल चौहान शा. प्रा. विद्यालय पाडलिया की ड्यूटी भी लगाई गई है।
नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक ले जाने वाले शिक्षकों से जब इस सम्बंध में पुछा कि आप स्कूल छोडकर नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक लेने आये हो तो स्कूल में बच्चो को कौन पढा रहा है। तो एक शिक्षक का कहना है कि मैं तो भृत्य हूँ। जब सम्बंधित से यह पुछने पर कि आप कि पोस्टिंग कहा है तो उन्होंने बताया कि मेरी पोस्टिंग नगोरा में है। जब क्षिप्रा के लोगों से पुष्टि करने पर पता चला कि शिक्षक सुभाष चौधरी शा .मा .विद्यालय नगोरा में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ है। शा मा विद्यालय टिगरिया छोटा के भृत्य सतीश मालवीय से पूछने पर किसी प्रकार कि कोई जानकारी ही नहीं दे पाए। शा .मा. विद्यालय लोहार पिपलिया की शिक्षिका तो नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक लेने के लिए बच्चों को ही ले आई। निगम ने जिला कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी सहित संबंधितों से मांग की है कि उक्त मामले की जांच कर दोषियो पर कार्यवाही की जाए।