राजस्थान, दिल्ली में अभिभाषकों के लिए योजनाएं लाई जा रही हैं तो मध्य प्रदेश में क्यों नहींराज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्यों ने उठाया सवाल
इंदौर । राजस्थान और दिल्ली सरकारें जब अभिभाषकों के हित में अनेक योजनाएं ला सकती हैं तो फिर मप्र में ऐसा क्यों नहीं हो रहा। मुख्यमंत्री ने वर्षों पहले अधिवक्ता परिषद में वकीलों के हितार्थ कई घोषणाएं की थीं लेकिन इन घोषणाओं का आज तक क्रियान्वयन नहीं हुआ है। अधिवक्ता वर्षों से अपनी मांगों के लिए आवाज उठा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। लोगों को न्याय दिलवाने के लिए न्यायालय में पैरवी करने वाले खुद अन्याय का शिकार हो रहे हैं।
यह बात सदस्य राज्य अधिवक्ता परिषद मप्र नरेंद्र कुमार जैन और जय हार्डिया ने कही है। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा अधिवक्ताओं के हित में नई अधिवक्ता कल्याण योजना लागू की गई है। इसके अनुसार अधिवक्ता का 10 लाख रुपये का जीवन बीमा करवाया जा रहा है। इसके अलावा पांच लाख रुपये का मेडिक्लेम जिसमें परिवार में अधिवक्ता, पति या पत्नी और 25 वर्ष से कम आयु के दो बच्चे शामिल हैं करवाया जा रहा है। इसके लिए दिल्ली सरकार द्वारा 50 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इसी तरह राजस्थान में भी अधिवक्ताओं के गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की स्थिति में 30 लाख रुपये और अधिवक्ता की मृत्यु होने पर 8 लाख रुपये दिए जाने की योजना है। इसके अतिरिक्त वहां नए अधिवक्ताओं को 2 वर्ष पश्चात अगले 3 वर्ष तक 5 हजार रुपये प्रतिमाह स्टाय पेंड के रूप में दिया जाना है।
अधिवक्ताओं की सेवा से सेवानिवृत्त होने पर भी एक मुश्त सहायता राशि का प्रविधान किया गया है। अधिवक्ताओं ने मांग की है कि राजस्थान और दिल्ली की तरह मध्य प्रदेश में भी अधिवक्ताओं के हित को देखते हुए योजनाएं लागू की जाएं। प्रदेश में नए अधिवक्ताओं को साढ़े 12 हजार रुपये के स्थान पर 25 हजार रुपये की एकमुश्त सहायता उपलब्ध करवाई जाए।