नागपंचमी के लिए आज रात 12 बजे खुलेंगे नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट
– पहली परंपरागत पूजा महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से की जाएगी
– इसके बाद आम दर्शन शुरू हो जाएंगे, 21 की रात 12 तक दर्शन
दैनिक अवंतिका उज्जैन।
नागपंचमी पर्व के लिए ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट आज रात 12 बजे खुल जाएंगे। इसके पहले परंपरागत रूप से पहली पूजा महानिर्वाणी अखाड़े के महंत द्वारा की जाएगी।
इसके बाद आम दर्शनों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। मंदिर के पट वर्ष में एक बार केवल नाग पंचमी पर ही आम दर्शन के लिए खोले जाते हैं। 24 घंटे इस मंदिर में दर्शन होते हैं। 21 अगस्त के रात 12 तक मंदिर के पट खुले रहेंगे। नागपंचमी पर देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु नागचन्द्रेश्वर के दर्शन के लिए आयेंगे। इसे देखते हुए प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर नागचन्द्रेश्वर का मंदिर है। हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण भी माना गया है।
11 वी शताब्दी की प्रतिमा के होते है मंदिर में दर्शन
नागचन्द्रेश्वर मंदिर में 11 वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है, प्रतिमा में श्री नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने सात फनों से सुशोभित हो रहे है। साथ में शिव-पार्वती के दोनों वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित है। मूर्ति में श्री गणेश की ललितासन मूर्ति, उमा के दांयी ओर कार्तिकेय की मूर्ति व उपर की ओर सूर्य-चन्द्रमां भी अंकित है। इस प्रकार श्री नागचन्द्रेश्वर की मूर्ति अपने आप में भव्य एवं कलात्मकता का उदहारण है। भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए है।
कहते हैं कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। ऐसी मान्यता है कि, उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। इस प्रतिमा के दर्शन के उपरांत अंदर प्रवेश करने पर श्री नागचन्द्रेश्वर की मुख्य प्रतिमा शिवलिंग के दर्शन होते है।
नागचन्द्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की परंपरा
दोपहर में कलेक्टर सरकारी पूजा करेंगे
नागपंचमी पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होगी। जिसमें 20 अगस्त की रात 12 बजे पट खुलने के पश्चात श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाडे के महंत श्री विनित गिरि महाराज पहली पूजा करेंगे। दूसरी पूजा कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम द्वारा एवं शाम को मंदिर समिति के द्वारा तीसरी पूजा की जाएगी