हाई कोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग से पूछा- राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2022 से दोनों प्रश्न क्यों हटाए, एक सप्ताह में दें उत्तर

 इंदौर ।   मप्र लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) से उच्च न्यायालय ने हटा दिए दो प्रश्नों पर उत्तर मांगा है। न्यायालय ने आयोग से पूछा है कि राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2022 के प्रश्नपत्र से दो प्रश्न क्यों हटाए? इसका कारण स्पष्ट करें। एक सप्ताह में न्यायालय ने उत्तर प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। ये वही प्रश्न हैं, जिन पर प्रदेश का राजनीतिक पारा भी गर्मा गया था।
मई माह में राज्य सेवा प्रांरभिक परीक्षा आयोजित की थी, जिसका परिणाम जून माह में घोषित किया। इसमें दो प्रश्न क्रमांक तीन व क्रमांक 89 हटा दिए थे। परीक्षार्थी मुकेश यादव ने भी दिव्यांग कोटे से भाग लिया था। अधिवक्ता मनीष यादव और अधिवक्ता मेहुल वर्मा ने अभ्यर्थी की ओर से याचिका प्रस्तुत करते हुए प्रश्नों को हटाने पर आपत्ति ली थी। न्यायालय में तर्क रखे कि लोक सेवा आयोग ने बिना वजह दो प्रश्न हटा दिए। इससे उनके पक्षकार का चयन होते-होते रह गया। याचिकाकर्ता मुकेश यादव के दिव्यांग कोटे में कटआफ 142 अंक रहा था। याचिकाकर्ता को दो प्रश्न डिलीट हो जाने की वजह से 140 अंक आए। प्रश्न क्रमांक 3 और प्रश्न क्रमांक 89 जो याचिकाकर्ता के सही अंक थे, बावजूद उन्हें डिलीट कर दिया, इससे याचिकाकर्ता चयन से वंचित रह गया।
प्रश्न क्रमांक तीन में पूछा था कि भारत छोड़ो आंदोलन कब प्रारंभ हुआ था। सही जवाब नौ अगस्त था, जो प्रश्न के साथ दिए विकल्प में मौजूद था। उसे ही उत्तर के रूप में याचिकाकर्ता ने लिखा था। प्रश्न क्रमांक 89 मप्र निर्वाचन आयोग कब अस्तित्व में आया था? इसका सही जवाब 1 फरवरी 1994 है। इसका भी सही जवाब प्रश्न के साथ दिए विकल्प में था और याचिकाकर्ता ने अपनी उत्तरपुस्तिका में लिखा था।
न्यायालय ने एक सप्ताह में मांगा उत्तर
याचिकाकर्ता ने जवाब के समर्थन में आधुनिक भारत का इतिहास पुस्तक और अन्य तथ्य प्रस्तुत किए। न्यायालय को बताया कि प्रश्न हटाने की वजह से याचिकाकर्ता को चार अंकों का नुकसान हो गया और वह चयन से वंचित रह गया। इन तर्कों से सहमत होकर न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश लोक सेवा से एक सप्ताह में उत्तर मांगा है।