देवास : भरत नाट्यम शैली की प्रशिक्षक छाया वर्मा का किया सम्मान
देवास । माता पिता के विश्वास को कभी न तोड़ें। जहां का बोलकर जाओ वहीं जाओ। अचानक कोई परिवर्तन होता है तो तुरंत परिवार को सूचित करें। आपके बारे में कोई और आकर परिवार को कुछ बताए उसके पहले आप स्वयं पूरी बात बता दें। ऐसा कोई कार्य न करें जिससे आपके औैर परिवार के स्वाभिमान पर कोई आंच आए। जीवन में आगे बढ?े के लिए दूसरों का मार्ग अवरूद्ध न करें। सभी की उन्नति में आपकी उन्नति है। आपके लिए शिक्षा परिवार और समाज में एक बहुत बड़ा आभूषण है लेकिन यही शिक्षा विषम परिस्थितियों में एक बहुत बड़ा हथियार है। पढ़ाई करना सबसे सरल है। माता पिता को यह न कहना पढे कि पढने बैठें। होना यह चाहिये कि माता पिता कहने लगें कि अब थोड़ा आराम कर लो । पढाई के साथ कोई एक कला अवश्य सीखें। भारतीय कलाएं विश्व में अद्वितीय हैं। प्रत्येक कला का वैज्ञानिक महत्व है। जयहिन्द सखी मंडल देवास द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शिक्षाविद एवं रिसर्च स्कालर डॉ. सुषमा अरोरा ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि छात्राओं को अनेक जिम्मेदारियों का वहन करना होता है।
इस अवसर पर व्यावसायिक शिक्षा प्रभारी रूचि व्यास ने सखी मंडल की सदस्यों से कहा कि प्रत्येक अच्छे कार्य में रूकावटें आती हैं जो रूकावट पर रूक गया वह हार गया और जो पार कर गया वह जीत गया। यही प्रकृति का अटल सत्य है। यदि आप नकारात्मक विचारों वाले से दूर हो जाएंगे तो आप स्वत: सकारात्त्मक हो जाएंगे।