खाचरोद : जिले में सोच समझकर बनानी होगी जीत की रणनीति

खाचरोद ।   मध्यप्रदेश में 4 माह बाद विधानसभा चुनाव होने वाले है ताजा सर्वे ने दोनों ही दलों में काँटे की टक्कर बताया है मालवा क्षेत्र में कांग्रेस मजबूती से पैर पसार रही है ऐसे में भाजपा को बड़े व कड़े निर्णय लेने पड़ेंगे तभी अच्छी सफलता मिल सकती हैं अन्यथा भाजपा को भारी पड़ सकती है मालवा क्षेत्र में उज्जैन क्षेत्र से ही पिछड़ गई थी व भाजपा सरकार बनाने से वंचित हो गई थी इसलिए इस बार उज्जैन जिले में भाजपा एक एक सीट पर गहन मंथन कर रही है इस समय पूरे जिले में 6 सीटे डेंजर जोन में है, संगठन द्वारा स्वयं की बजाय विधायकों पर ज्यादा भरोसा किया।
सभी फैसले विधायकों पर छोड़ दिए गए संगठन ने अपने आप को गौण कर लिया जिससे पार्टी में चरण व चाटूकार संगठन पर हावी हो गए। फिर मण्डल अध्यक्ष की उम्र 40 वर्ष करके संगठन को समाप्त करने में आग में घी का काम कर दिया। इससे एक मजबूत व अनुभवी कार्यकर्ताओं की बड़ी टीम नाराज होकर घर बैठ गई या यूं समझे कि उन्हें जबरजस्ती घर बैठा दिया गया अनुभवहीन व्यक्ति पूजा वाले मण्डल अध्यक्ष सत्ता को व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल करते रहे संगठन मौन रहा जिससे संगठन तहस नहस हो गया व आज इतने विकास के बावजूद संघर्ष कर रही क्योंकि सरकार की योजनाओं का बखान करने वाला कार्यकर्ता अपनी उपेक्षा से नाराज है जो आज संगठन के लिए चिंता का विषय होंना चाहिए उज्जैन जिले में इस बार सातो सीटो पर काँटे की टक्कर होने वाली है, जहां उज्जैन उत्तर में पारस जैन की टिकट बदली गई तो वहाँ प्रदीप पांडे, विभाष उपाध्याय, सोनू गहलोत, अनिल जैन कालूहेड़ा कतार में है वहीं दक्षिण में मोहन यादव सशक्त उम्मीदवार है इनके अलावा तेज तर्रार नेत्री राज जोशी भी दावेदार हो सकते हंै, बड़नगर विधानसभा में इस बार वहां का मिजाज किसी राजपूत समाज के व्यक्ति को टिकट देने की बात कर रहा है क्योंकि यहाँ केवल शांति लाल धबाई के अलावा 7 बार से ब्राह्मण प्रत्याशी उतार रही है इसलिए यहां इस बार राजपूत समाज को मौका मिल सकता है, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कानसिंह पुत्र तेजसिंह राठौड़ को नरेन्द्र सिंह तोमर के वरदहस्त से टिकट मिल सकता है रामपाल सिंह भी दावेदार है संजय शर्मा नरेन्द्र पण्ड्या भी प्रमुख दावेदार, महिदपुर विधानसभा की बात करे तो यहाँ वर्तमान विधायक बहादुर सिंह चौहान का कोई तोड़ नही है यदि पार्टी नया उम्मीदवार देती है तो सुधीर मूणत व उम्मीदवार हो सकते हैं।
तराना विधानसभा में पूर्व विधायक ताराचंद गोयल को टिकट मिल चुका है खाचरौद नागदा विधानसभा की बात करे तो यहां भाजपा लगातार हार रही है, यहां लगातार 8 चुनाव से राजपूत समाज को अवसर दे रही जिसमे भाजपा 5 बार चुनाव हार चुकी है, खाचरौद के लोगों को 50 वर्ष से टिकट नही मिलने से नाराजी है खाचरौद नगर व ग्रामीण में 150000 वोट है जो किसी भी परिणाम को चुनौती दे सकते है, दिलीप शेखावत को तीन बार अवसर दिया गया जिसमें वो दो बार हार चुके हंै वही 2013 में मोदी की प्रचण्ड लहर में ही जीते है वे भी दावेदारी कर रहे है डॉ. तेज बहादुर सिंह चौहान मोतीसिंह शेखावत दावेदारी कर रहे हैं। खाचरौद तरफ से अनोखीलाल भण्डारी विजय सेठी लक्ष्मीनारायण सगीतरा अनिल छाजेड़ सशक्त उम्मीदवार है, अनिल छाजेड़ युवा होने के साथ जनता के कई मुद्दों पर जमीनी संघर्ष करने वाले नेता है संगठन में गुटबाजी का शिकार रहे लेकिन जनता में जबरदस्त पकड़ होने के कारण दिलीप गुर्जर को हरा सकते हैं भाजपा इन पर दांव लगा सकती है, वास्तव में भाजपा को यदि जिले में ज्यादा सीटें लाना है तो पांच से 6 उम्मीदवार नए व युवा जनता पर पकड़ रखने वाले कार्यकर्ताओ को टिकट देने पड़ेंगे अन्यथा वर्तमान स्थिति भाजपा के लिए भयावह है देखना है अगले चुनाव में उज्जैन जिला किसकी सरकार बनवाता है, भाजपा को जातिगत समीकरण साधना भी कठिन चुनौती है भाजपा इस बार बड़नगर व खाचरौद में ज्यादा ध्यान देगी, उज्जैन उत्तर से पारस जैन के टिकट कटने पर वहां से कोई ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा सकती है इसलिए बड़नगर में इस बार राजपूत चेहरा उतार सकती है ऐसे में नागदा खाचरोद में किसी जैन चेहरे को अवसर मिल सकता है जिससे परिवर्तन भी हो जाएगा व बार बार एक ही कम्युनिटी को अवसर मिलने का विरोध भी थम जाएगा व भाजपा ज्यादा सीटें जितने की स्थिति में रहेगी उज्जैन उत्तर में लगातार जैन को टिकट मिलने का विरोध है वहाँ ब्राह्मण समाज भी बड़ी ताकत है, देखना भाजपा क्या निर्णय करती है।