सिंहस्थ भूमि पर आवासीय हुए बिना ही कटने लगी अवैध कॉलोनी

गैरों पे सितम अपनों पे करम : एक तरफ तोड़े जा रहे बने बनाए मकान और दूसरी तरफ जीवनखेड़ी में भूमाफिया प्लाट की बिंदास कर रहे प्री बुकिंग

ब्रह्मास्त्र उज्जैन। शहर का जीवनखेड़ी तथा उसके आसपास एक ऐसा क्षेत्र है, जो सिंहस्थ भूमि के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह वह क्षेत्र है जिसका उपयोग सिंहस्थ के दौरान किया जाता रहा है। फिलहाल जीवनखेड़ी का जिक्र इसलिए है, क्योंकि यहां पर भूमाफियाओं ने प्लाट काटना शुरू कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि इसके लिए बाकायदा प्री बुकिंग भी शुरू हो गई है। गौरतलब है कि जीवनखेड़ी की सिंहस्थ मेले में उपयोग में आने वाली इस खुली जमीन को मास्टर प्लान के जरिए आवासीय घोषित करवाए जाने की कोशिश की जा रही है। परंतु, इसका विरोध भी बहुत है। क्योंकि सिंहस्थ बाइपास के आसपास की यह जमीन सिंहस्थ क्षेत्र के काम आती रही है। पिछले सिंहस्थ में भी इस भूमि का उपयोग हुआ था और उसका बाकायदा सरकार द्वारा मुआवजा भी दिया गया था। सिंहस्थ मेले में अत्यधिक उपयोगी होने के कारण आवासीय करने के भारी विरोध के चलते संभव है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसे आवासीय न करें, लेकिन भू माफियाओं का हौंसला और आत्मविश्वास तो देखिए कि वे इस बात के लिए पूरी तरह आश्वस्त हैं कि यह जमीन आवासीय हो ही जाएगी। शायद इसीलिए उन्होंने अभी से कॉलोनी काटने के लिए प्लाट की प्री बुकिंग शुरू कर दी है।

सरकारी रवैया समझ से बाहर

इस मामले में सरकार और जिला प्रशासन का रवैया भी समझ से बाहर है। एक तरफ तो सिंहस्थ क्षेत्र के ही उपयोग में आने वाली जमीन पर वह वर्ष 2016 के बाद बने मकानों को तोड़ रही है। गरीबों के मकान तेजी से गिराए जा रहे हैं। उन्हें दरबदर किया जा रहा है। दूसरी ओर सिंहस्थ के ही उपयोग में आने वाली जीवनखेड़ी की इस खुली जमीन पर प्लाट काटे जा रहे हैं। प्री बुकिंग की जा रही है, परंतु भू माफियाओं की इस करतूत को जरा भी नोटिस में नहीं लिया जा रहा है।

मौजूदा जमीन पर प्लाट कट रहे, तब सिंहस्थ कहां भराएगा?

इस मामले में जनप्रतिनिधियों का भी चेतना जरूरी है। यदि प्री बुकिंग कर प्लाट काट दिए गए और लोगों ने यहां मकान बना लिए तो फिर सिंहस्थ कहां भराएगा तथा उसके लिए और जमीन कहां से आएगी? यह सबसे बड़ा सवाल है। खुद प्रशासन का ही अनुमान है कि पिछले सिंहस्थ में जितनी जमीन का उपयोग हुआ था, उससे 1000 हेक्टेयर जमीन की और जरूरत पड़ेगी। सरकार गैरों पर सितम अपनों पर करम जैसी नीति को अपना रही है। तभी तो एक तरफ बने बनाए मकानों को जमींदोज किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर सिंहस्थ की ही भूमि पर प्लाट की प्री बुकिंग भी बिंदास चल रही है और सभी जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

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