25 अगस्त से 8 सितम्बर नेत्रदान पखवाड़ा
उज्जैन । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.दीपक पिप्पल ने बताया कि प्रतिवर्ष 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। इसका उद्देश्य नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को नेत्रदान करने के लिये प्रेरित करना है। देश में लाखों लोग कॉर्निया की खराबी के कारण अंधेपन के शिकार हैं, जिसे नेत्रदान से मिले कॉर्निया के प्रत्यारोपण से ठीक किया जा सकता है। चोंट या किसी बीमारी के कारण कॉर्निया को क्षति होने पर दृष्टिहीनता को ठीक किया जा सकता है। प्रत्यारोपण में ऑख में से क्षतिग्रस्त या खराब कॉर्निया को निकाल दिया जाता है और उसके स्थान पर एक स्वस्थ्य कॉर्निया प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत आंखों से जुड़ी सभी बीमारियों का इलाज किया जाता है। आंखें प्रकृति की अनुपम देन हैं। नेत्र ज्योति से मूल्यवान कोई चीज नहीं हैं। कई बार दुर्घटना और रोगों से आंखों की रक्षा करना जरूरी है। दिन में कम से कम 3-4 बार आंखों को ठंडे पान से धोना चाहिए। आंखे पोछने के लिए साफ तौलिया या रूमाल का प्रयोग करें। सूर्य की रोशनी को सीधे न देखें। भोजन में विटामिन ‘ए’ युक्त फल-सब्जी जैसे पपीता, गाजर, मैथी, पालक का प्रयोग अधिक से अधिक करें। छोटे बच्चों को विटामिन ‘ए’ का घोल अवश्य पिलवायें। आंखों को धूप, धूल एवं धुएं से अवश्य बचायें। आंखों का नुकीले चीजों, गिल्ली डंडा आदि से भी बचायें। कम्प्यूटर पर काम करते समय बीच-बीच में आंखों को आराम अवश्य दें।
बीमारी के सामान्य लक्षण
सोते समय पलकें खुली रहना, पलकों के बाल अंदर मुड़े रहना, काली पुतली के बीच का भाग सफेद होना (मोतियाबिंद), विटामिन ‘ए’ की कमी के कारण पुतली में सफेद दाग, आंखे बहुत अधिक झपकाना, दूर का ठीक ढंग से नहीं पढ़ पाना, आंखे लाल होना, आंखों में दर्द होना, आंखों में पानी आना, आंखों में जलन होना।
मोतियाबिंद
वृहद्जनों में मोतियाबिंद की तकलीफ हो जाती है, जिसका ऑपरेशन करवाने पर नेत्र ज्योति वापस लौट आती है, परन्तु समय पर ऑपरेशन नहीं करवाया जाये तो अंधापन भी हो सकता है। मोतियाबिंद का ऑपरेशन शासकीय अस्पताल में निःशुल्क किया जाता है।