बालनाट्य समारोह में संस्कृत नाटकों की प्रस्तुतियाँ हुई

उज्जैन । संस्कृत रंगमंच विश्व का सर्वाधिक सबसे प्राचीन रंगमंच है। नाटकों के माध्यम से हमारी संस्कृति एवं सभ्यता का परिचय मिलता है। संस्कृत रंगमंच से ही अन्य भाषाओं के रंगमंच ने सूत्र प्राप्त किये हैं। बच्चों के द्वारा रंगमंच की प्रस्तुति अभिनन्दनीय प्रयास है। ये बच्चें भविष्य में हमारे कला, साहित्य एवं संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन करेंगे।कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित बालनाट्य समारोह के प्रथम दिवस आमन्त्रित अतिथियों ने यह विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी  श्रीपाद जोशी, वरिष्ठ समाजसेवी  रूप पमनानी एवं वरिष्ठ योगगुरु  गिरिजेश व्यास उपस्थित थे।

बालनाट्य समारोह में प्रथम प्रस्तुति ओंमकार सांस्कृतिक संस्था, उज्जैन द्वारा विक्रमोर्वशीयम् के चतुर्थ अंक की प्रस्तुति  भूषण जैन के निर्देशन में की गई। द्वितीय प्रस्तुति में त्रिनेत्रा      सांस्कृतिक संस्थान, उज्जैन के कलाकारों ने  जगरूप सिंह के निर्देशन में अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ एवं पंचम अंक की प्रस्तुति की गई। बाल कलाकारों ने अपने वाचिक, आंगिक अभिनय से  तथा साथी कलाकारों ने अन्य माध्यमों से प्रस्तुतियों को प्रभावी बनाया।

प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत अकादमी के प्रभारी निदेशक डॉ.सन्तोष पण्ड्या, उपनिदेशक डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया तथा  अनिल बारोड़ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया ने किया तथा संचालन  सुदर्शन अयाचित ने किया। उज्जैन के दो वरिष्ठ रंगकर्मियों  विश्वास शर्मा एवं  अनिल परमार के हुए निधन पर श्रद्धांजलि दी तथा पावन स्मरण किया।

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