‘कैश जमा करने से मना नहीं कर सकते बैंक’ इंदौरी वकील ने 3 साल लड़ी अपनी लड़ाई, उपभोक्ता फोरम ने बैंक पर लगाया जुर्माना

 

इंदौर। बैंक में नगद पैसे जमा करने के लिए 20 मिनट लाइन में लगे एक वकील का जैसे ही काउंटर पर नंबर आया बैंककर्मी ने नगद पैसे जमा करने से मना कर दिया। कहा कि ब्रांच के बाहर कैश जमा करने की मशीन लगी है, वहीं से जमा करो। यह कहकर बैंक कर्मी ने पैसा जमा करने आए युवक को बाहर का रास्ता दिखा दिया। युवक के किसी सवाल का जवाब भी नहीं दिया। नाराज युवक उपभोक्ता फोरम की शरण में पहुंच गया।
पेशे से वकील और पीड़ित चंचल गुप्ता ने बताया कि मेरा अकाउंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की पत्रकार कॉलोनी शाखा में है। मुझे 15 हजार रुपए जमा करने थे। मैं 1 अक्टूबर 2019 को बैंक में गया था। पहले बैंक के बाहर कैश डिपॉजिट मशीन में ट्राय किया। मेरे पास एटीएम कार्ड नहीं था। मशीन में टेक्नीकल दिक्कत थी। इस वजह से रुपए जमा नहीं हो रहे थे। मैं बैंक के अंदर गया और डिपाजिट स्लिप भरकर लाइन में लग गया।
बैंक में पहले कैश काउंटर डिपॉजिट और विड्रॉल के ज्यादा होते थे लेकिन जब से डिजिटाइजेशन के बाद एक ही काउंटर कर दिया था। इसके चलते भीड़ ज्यादा थी। करीब 20 मिनट के बाद मेरा नंबर आया। कैशियर ने कैश डिपॉजिट करने से मना कर दिया। उनका कहना था बाहर मशीन लगी है। वहीं रुपए जमा करना पड़ेंगे। काउंटर पर कैश जमा करना बंद कर दिया गया है। मैंने कहा कि मशीन खराब है। रुपए जमा नहीं हो रहे हैं। मेरे पास एटीएम भी नहीं है। उन्होंने कहा कि आप दूसरी ब्रांच में जाइए वहां मशीन होगी। मैंने बैंक मैनेजर से बात की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का नया नियम आ गया है। काउंटर पर कैश जमा नहीं होगा। डिजिटल मोड से ही आपको ट्रांजेक्शन करना होगा। मैंने नियम की कॉपी मांगी तो उन्होंने अभद्रता की। स्टाफ से कहा कि इन्हें बाहर निकालिए। उसके बाद मैंने उनसे कहा कि ठीक है आप कैश डिपाजिट नहीं कर रहे हैं तो मुझे लिखकर दे दीजिए। उन्होंने मेरी डिपॉजिट पर्ची के पीछे लिखकर दे दिया कि काउंटर पर कैश डिपाजिट नहीं होगा। आप ग्रीन चैनल से या मशीन से ही कैश डिपॉजिट करें। इसके बाद मैं वापस आ गया। बाहर मैंने देखा कि काफी लोग परेशान हो रहे थे। मशीन खराब होने की वजह से कैश डिपाजिट नहीं हो रहा था।
मैंने नियम के बारे में पता किया। मुझे जानकारी मिली कि ऐसा कोई नियम सरकार ने नहीं बनाया है। यह जरूर है कि लोगों को जागरूक करना है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन करें लेकिन यह कहीं नहीं लिखा है कि पर्ची से रुपए जमा नहीं होंगे। उसके बाद मैंने कानूनी लड़ाई लड़ने मन बनाया।
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन में मैंने शिकायत की। बैंक का सकारात्मक जवाब नहीं आया तो कंज्यूमर फोरम में मैंने केस फाइल किया।

3 साल बाद आया आदेश

आखिरकार 3 साल के बाद कंज्यूमर फोरम ने आदेश पारित किया। फोरम ने कहा कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना लाभ का विषय है। लेकिन बैंक ने जो किया है वह निश्चित रूप से सेवा में कमी है। बैंक का अपने ग्राहकों के प्रति व्यवहार भी ठीक नहीं है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया राष्ट्रीय कृत बैंक है तो आपसे ग्राहकों से बेहतर बात करने और अच्छी सेवाएं देने की अपेक्षा की जाती है। उसमें कमी पाई गई इसलिए बैंक पर 2 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। 1 हजार रुपए कानूनी खर्च के भी देना होंगे। आदेश का पालन समय पर नहीं हुआ तो बैंक को 8 प्रतिशत की राशि ब्याज सहित देना होगी।

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