कोरोना काल में महाकाल मालामाल 110 दिन में 23 करोड़ रुपए का दान
28 जून को मंदिर खुला, 3 माह 17 दिन में बाबा का खजाना भर गया
ब्रह्मास्त्र उज्जैन। उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल कोरोना काल में भी मालामाल हुवे जबकि इस समय तो अच्छे अच्छे की हालत खराब थी। कोरोना का लॉक डाउन समाप्त होने के बाद मंदिर खुलने से अब तक 110 दिन में भगवान महाकाल के खजाने में 23 करोड़ रुपए का दान आया।
28 जून को मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था। 3 महीने और 17 दिन में देशभर से श्रद्धालु उमड़े और दिल खोलकर दान भी दिया। मंदिर प्रबंध समिति ने हाल ही में इसका हिसाब किताब किया तो पता चला कि आय करोड़ो में हुई है। मंदिर में विदेशों से भी ऑनलाइन दान मंदिर को मिला है। 11 सितंबर से आम श्रद्धालुओं के लिए भस्म आरती में प्रवेश भी शुरू हो गया था।
जाने मंदिर में कैसे हुई इतने कम दिन में करोड़ों की आय
28 जून से 15 अक्टूबर तक 3 महीने 17 दिन यानी कुल 110 दिनों के दौरान भगवान महाकाल के खजाने में लड्डू प्रसाद, शीघ्र दर्शन टिकट, मंदिर परिसर में विभिन्न दान पेटियां, अभिषेक, भेंट से प्राप्त राशि, भस्म आरती बुकिंग एवं अन्य विविध आय, ध्वजा व श्रृंगार के माध्यम से करीब 23 करोड़ 3 लाख 54 हजार 538 रुपए की आय हुई है।
कहाँ से कितने लाख मिले मंदिर समिति को ये भी पूरी डीटेल जाने
– लड्डू प्रसाद से 8 करोड़ 20 लाख 54 हजार 750 रुपए
-शीघ्र दर्शन टिकट से 7 करोड 53 लाख 25 हजार 250 रुपए ,
– भेंट पेटी से आय : 5 करोड़ 66 लाख 12 हजार 384 रुपए ,
– अभिषेक एवं भेंट से प्राप्त राशि- 92 लाख 130 रुपए
– भस्म आरती बुकिंग से आय- 34 लाख 70 हजार 180 रुपए ,
– अन्न क्षेत्र भेंट आय- 5 लाख 87 हजार 116 रुपए
– ध्वजा एवं बुकिंग से आय- 2 लाख 27 हजार 700 रुपए
– अन्य विविध आय- 28 लाख 77 हजार 28 रुपए
कुल आय- 23 करोड़,03 लाख 54, हजार 538
कोरोना संकट में भी कर्मचारियों को दिया वेतन, कभी कमी नहीं
मंदिर भले ही बंद था। इससे आय भी रुकी हुई थी पर समिति के कर्मचारियों को मिलने वाला वेतन निकालने के लिए मंदिर को कोई दिक्कत नहीं आई। जमा पूंजी से वेतन बांटा गया। मंदिर खुलते ही मात्र 3 महीने में बाबा की कृपा से 23 करोड़ की आय से खजाना फिर भर गया। जिसमें दान पेटियों से रिकॉर्ड तोड़ 5 करोड़ 66 लाख 12 हजार 384 रुपए मिले है।
वीआईपी के शीघ्र दर्शन टिकट से भी साढ़े 7 करोड़ रुपए का धन बरसा
शीघ्र दर्शन से भी खासी कमाई मंदिर को हुई है। जिसमे 7 करोड़ 53 लाख 25 हजार 250 रुपए की आय हुई। भस्म आरती में एक दिन में 1 हजार श्रद्धालुओं को अनुमति मिल रही है, जिसमें ऑनलाइन परमिशन वाले श्रद्धालु को 100 रुपए और ऑफ लाइन परमिशन वाले श्रद्धालु को 200 रुपए शल्क दान के रूप में लग रहा है। वहीं दिन भर सामान्य दर्शन तो नि:शुल्क है लेकिन प्रोटोकॉल से दर्शन के लिए 100 रुपए प्रति दर्शनार्थी शुल्क दान के रूप में लिया जा रहा है।