कालिदास ने भारत के गौरव की पुनः प्रतिष्ठा की कुमारसम्भव् एवं मालविकाग्नित्रिम् से हुआ बालनाट्य समारोह का समापन

उज्जैन । पूर्व शताब्दियों में भारत को पिछड़े देश के रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा है। महाकवि कालिदास ने अपने काव्य एवं नाटकों के माध्यम से भारत के गौरव को प्रतिष्ठित करने का अतुलनीय कार्य किया है। नाटक चाक्षुष क्रतु है। इसके रसास्वादन से दिनभर की परिश्रम जन्य थकान दूर  होती है। नाट्यशास्त्र में कलाओं को शिल्प के माध्यम से सूचित किया गया है। नाटक जनता के साथ संवाद करने का सीधा माध्यम है। इसमें मानवीय संवेदनाओं की व्याख्या होती है। बच्चों द्वारा अभिनीत प्रस्तुतियाँ स्वाभाविक होती हैं, उनमें कोई आडम्बर नहीं होता।कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन द्वारा आयोजित बालनाट्य समारोह के द्वितीय दिवस    24 अगस्त को आमन्त्रित अतिथियों जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष  विभाष उपाध्याय तथा वरिष्ठ संस्कृत विद्वान् डॉ.केदारनाथ शुक्ल ने यह विचार व्यक्त किये।

बालनाट्य समारोह में तृतीय प्रस्तुति  पायल लोककला मण्डल दताना उज्जैन द्वारा कुमारसम्भवम् की प्रस्तुति  विनीता परमार के निर्देशन में की गई। द्वितीय प्रस्तुति में प्रतिभापरख नाट्यमंच शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान उज्जैन के कलाकारों ने  पंकज आचार्य के निर्देशन में मालविकाग्निमित्रम् की प्रस्तुति की। बाल कलाकारों ने अपने स्वाभाविक अभिनय से शिव-पार्वती  मालविका-अग्निमित्र की कथा को प्रस्तुत करते हुए दर्शकों का मन मोहा।
प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत अकादमी के प्रभारी निदेशक डॉ.सन्तोष पण्ड्या, उपनिदेशक डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया तथा कार्यक्रम संयोजक  अनिल बारोड़ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन        डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया ने किया तथा संचालन  दुर्गेश सूर्यवंशी ने किया। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा नाट्य संस्थाओं के निर्देशकों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये गये।