आरोपित का घर तोड़े जाने के खिलाफ याचिका, एमपी हाई कोर्ट ने की निरस्त, ये है वजह
इंदौर । 13 अगस्त देर रात कृष्णबाग कालोनी निवासी सुरक्षाकर्मी राजपाल सिंह राजावत द्वारा अंधाधुुंध फायरिंग कर दो लोगों की हत्या और 6 लोगों को गंभीर रूप से घायल करने के मामले में आरोपित सुरक्षाकर्मी के बेटे द्वारा मकान तोड़े जाने की आशंका में प्रस्तुत याचिका हाई कोर्ट ने निरस्त कर दी। कोर्ट ने कहा कि नगर निगम ने अब तक मकान तोड़ने जाने का कोई नोटिस जारी नहीं किया है। ऐसी स्थिति में सिर्फ आशंका के आधार पर याचिका दायर की गई है। इसे स्वीकारा नहीं जा सकता।
याचिका में आरोपित सुरक्षाकर्मी के बेटे सूरज राजावत ने निगमायुक्त, भवन अधिकारी, कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर को पक्षकार बनाया था। याचिका में कहा था कि याचिकाकर्ता के पिता ने 13 जनवरी 2013 को उक्त मकान खरीदा था। इसमें परिवार के सभी सदस्य रहते हैं। मकान से फायरिंग करने के मामले में पुलिस याचिकाकर्ता के पिता के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर चुकी है। पिता के अपराध की सजा घर के अन्य सदस्यों को नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने पक्षकारों के तर्क सुनने और तथ्यों के आधार पर माना कि निगम ने उक्त मकान तोड़ने का कोई नोटिस नहीं दिया है। मकान के संबंध में जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं वह विक्रय पत्र न होकर सिर्फ नोटराइज अनुबंध है। अनुबंध के आधार पर आरोपित को घर का मालिक नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी।यह है मामला
13 अगस्त को देर रात खजराना क्षेत्र की कृष्णबाग कालोनी में कुत्ता घूमाने की बात पर हुए विवाद में यहां रहने वाले राजपाल सिंह ने लायसेंसी बंदूक से अपने मकान की बालकनी से अंधाधुंध गोली चलाई थी। इसमें कालोनी के विमल और उनके साले राहुल वर्मा की मौत हो गई थी जबकि राहुल की पत्नी ज्योति सहित 6 लोग घायल हुए थे। पुलिस ने गार्ड राजपाल सिंह, उसके बेटे सुधीर और रिश्तेदार शुभम सिंह पर केस दर्ज किया है। आरोपित राजपाल सुखलिया इलाके में एक बैंक में गार्ड की नौकरी करता है