अब विकास के नाम पर मंदिर के मुख्य द्वार से सती माता की प्रतिमा हटाने की कवायद
प्राचीन प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमाओ को हटाना धर्म के खिलाफ, पुजारी का कहना मौखिक मिले हैं,आदेश लिखित में कुछ नहीं
उज्जैन। स्मार्ट सिटी के तहत श्री महाकालेश्वर मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र का विकास कार्य चल रहा है। जिसके तहत श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर वर्षों से स्थापित सती माता के मंदिर को हटाने की कवायद की जा रही है। इसमें धर्मशास्त्री और यहां के विद्वानों का कहना है कि जितना विस्तार नहीं हो रहा है उससे ज्यादा विनाश का कार्य किया जा रहा है शहर के प्राचीन धरोहर और प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमाओं को अपने स्थान से हटा कर अन्यत्र जगह रखा जा रहा है जो सनातन धर्म के विपरीत है और इसका परिणाम भी सभी को भोगना पड़ सकता है
सती माता मंदिर के पुजारी चेतन शर्मा ने बताया कि मौखिक रूप से मंदिर हटाने का आदेश दिए गए हैं। लिखित में अभी कोई आदेश नहीं आया है।
इस विषय में महामंडलेश्वर शांति स्वरूपानंद ने कहां की प्राचीन धरोहरों को हटाना और विशेष रूप से प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमाओं को हटाना यह धर्म के विरुद्ध है इसका परिणाम भी लोगों को और प्रशासन को भोगना पड़ सकता है क्योंकि हिंदू संस्कृति में कोई भी विधान नहीं है कि प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमाए हटाया जाए। सबसे पहले यह स्पष्ट होना चाहिए उनका कहना था कि शहर के विद्वान और प्रबुद्ध लोगों को मुख्यमंत्री से मिलना चाहिए और अपनी बात रखना चाहिए।
वही महाकालेश्वर मंदिर पुजारी व महाकाल सेना प्रमुख महेश पुजारी जी का कहना है कि विकास के नाम मंदिरों को हटाना गलत है और यदि ऐसा किया जाता है तो बाकी सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों को भी विकास कार्य के लिए हटाया जाना चाहिए सिर्फ हिंदू धर्म के मंदिरों को नहीं और ऐसे में धार्मिक व हिंदूवादी संगठन को आगे आकर इसका विरोध करना चाहिए सिर्फ आकर दिखावा नहीं करना चाहिए कड़ा विरोध होगा तो ही ऐसे कार्य पर रोक लग सकती हैं अन्यथा नहीं।