सांसद प्रज्ञा ने कांग्रेस विधायक को कहा – रावण
बोलीं- एक विधायक है शर्मा, बुढ़ापे में सच बोलना नहीं सीखा; रावण बनोगे तो वध करना पड़ेगा, दिग्गी पर भी साधा निशाना
ब्रह्मास्त्र भोपाल। शरद पूर्णिमा के अवसर पर भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कांग्रेस नेता पूर्व मंत्री और विधायक पीसी शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को जमकर निशाने पर लिया। उन्होंने पीसी शर्मा का नाम लिए बगैर कहा कि एक विधायक है शर्मा। बुढ़ापा आ गया, लेकिन सच बोलना नहीं सीखा। मैं कहती हूं बुढ़ापे में तो आदमी सुधार जाए। ब्राह्मण कुल में जन्म लिया तो ब्राह्मण बने रहो, रावण बनोगे तो वध करना पड़ेगा। क्या करेंगे राम जी।
! मजबूरी हो जाएगी। महिला का अनादर करोगे, अपमान करोंगे तो प्रभु राम को सीता मैया को लाने के लिए रावण का वध करना ही पड़ेगा।
नारी शक्ति को मिलेगा न्याय
न्याय नारी शक्ति को मिलेगा। तुम्हारे प्रपंच करने से कुछ होने वाला नहीं है। तुम प्रपंच करके थोड़ी बहुत शान शौकत दिखा लोगे। जो जैसा कर्म करेगा उसे वैसा फल मिलेगा। यह सुनिश्चित है। इसलिए कह रहे है कि सुधार जाओ। नारी शक्ति को बदनाम करने के लिए तुम्हें दंड कुदरत ही देंगी। यह प्रक्रृति ही देंगी। जीने लायक नहीं छोड़ेगी।
लोकसभा चुनाव में भोपाल ने दिया जवाब
कांग्रेस ने भगवा को ही आरोपित कर दिया। जिनको लोकसभा चुनाव में ऐसा जवाब दिया कि आज भी पूरा देश कहता है कि भोपाल के लोग बहुत समझदार और देशभक्त है। विधर्मियों को करारी चोट देना आपके ही वश में है। और एक भगवाधारी को भोपाल मं स्थापित कर दिया।
काले मन के व्यक्तियों को बुरा लग गया
सांसद ने कहा कि विधर्मियों का नाम कभी नहीं लेना, जो काले मन का व्यक्ति यदि नर्मदा मैया की परिक्रमा कर ले और उसका मन साफ नहीं हो। तो इसमें किसकी गलती। इसलिए हमने कहा कि नर्मदा मैया के जल से मन को साफ कर लो। तो काले मन के व्यक्तियों को बुरा लग गया। उन्होंने अग्नि से अग्नि जलाना शुरू कर दिया। मैं एक ही बात कहूंगी हम नर्मदा मैया का कभी अपमान नहीं कर सकते, क्योंकि नर्मदा मैया की लहरों में स्नान करके हम संन्यासी और वैरागी होते है।
मेरा पुतला जलाने वाले को भगवान ने बुला लिया
मैं संन्यासी हूं या नहीं। यह कुकर्मियों को बताने या प्रमाणित करने की जरूरत नहीं हूं। एक किसी व्यक्ति ने कहा था कि साध्वी प्रज्ञा सिंह आएगी तो हम उनका पुतला नहीं उनको जिंदा जला देंगे। एक दो महीने बीते होंगे भगवान ने उनको अपने पास बुला लिया। मैं कहती हूं कि क्यों ऐसा काम करते हो कि आपके स्वय लोग दु:खी हो जाए। श्राप देना हमारा काम नहीं है।
औलाद बनकर रहो, वरना यहां मरने भी नहीं देंगे…
सांसद प्रज्ञा ने कहा कि पहले मुझे जेल में डलवाया। फिर प्रताड़ना दी, लेकिन मेरा मन नहीं तोड़ पाए, क्योंकि साध्वी का मन तोड़ ही नहीं सकते। इसलिए कहते है कि सुधर जाओ। साधु-संन्यासी कभी मरते ही नहीं है। उन पर राष्ट्र का ऋण रहता है। इसलिए शरीर को सुरक्षित रखना पड़ता है। इसलिए यदि कोई हमें मार दें और खुश हो जाए कि हमने इनको मार दिया। तो कभी कल्पना नहीं करना। हम तो मर कर भी आएंगे तुम्हारी मैयत में। तम्हें तो कब्र में भी महफूज में ना रहने दें। जीना है तो औलाद बनकर, वरना यहां मरने भी ना देंगे।