-भाजपा की हारी हुई सीट तराना,घटि्टया, उम्मीदवार घोषणा के बाद कुल में अंर्तकलह
उज्जैन। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा के करीब दो माह पहले ही भाजपा ने 2018 में हारी हुई 39 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है।करीब दो सप्ताह पूर्व घोषित इन सीटों को लेकर पार्टी ने पूरी सियासी रणनीति के तहत यह घोषणा की है।भाजपा के गढ में मानी जाने वाली इन सीटों पर हार को लेकर केंद्रीय नेत्त्व की यह रणनीति इस बार गढ ढहाने वालों को भी बेनकाब करेगी।हाल की सि्थति तो यह है कि दोनों टिकिटों को लेकर कुल में कलह सामने आ रहा है।
सियासी हल्के में चर्चा है कि इन 39 सीटों पर भाजपा के थिंक टैंक अमित शाह की रणनीति पर काम हो रहा है।उज्जैन में भाजपा ने 2018 में हारी हुई तराना और घटि्टया के लिए क्रमश:ताराचंद गोयल एवं सतीश मालवीय को उम्मीद्वार घोषित किया है।केंद्रीय नेतृत्व का यह निर्णय रहा है।इसी के तहत दोनों सीटों पर उम्मीदवारों को जनसंपर्क एवं अपनी पकड् मजबूत करने के लिए पर्याप्त समय तो मिलेगा ही इसके साथ ही यहां पार्टी के साथ बगावत करते हुए पीठ में छूरा घोंपने वालों को भी इस दरमियान पार्टी सामने ले आएगी।इसके तहत वोट की सेंधमारी को भी इतने समय में अंजाम दिया जा सकेंगा।पार्टी के बडे नेता इस दौरान पूरी तरह से अपना ध्यान यहां केंद्रीत कर यहां हो रही गतिविधि को भी नजर में रखेंगे।इस रणनीति की ये सब परिणाम तो बाद की बात बताई जा रही है,हाल कि सि्थति में तो घोषित दोनों उम्मीदवारों को लेकर कुल में कलह की सि्थति उजागर हो रही है।हाल ही में तराना और घटि्टया में विरोध के स्वर मुखरित हुए हैं।महिदपुर से संबंध रखने वाले भाजपा के एक नेता ने घटिट्या से रविदास समाज से उम्मीदवार घोषित करने और पूर्व में बडे नेताओं के उन्हें आश्वासन की बात कही । पानबिहार के एक अजा नेता ने भी अपना पक्ष रखते हुए अपना पक्ष रखा है। इनके साथ ही कुछ और नेताओं ने भी विरोध के स्वर को बल दिया है।तराना में भाजपा के ही करीब 3 नेता घोषित उम्मीदवार का विरोध करते हुए वोट बाहुल्य समाज के भाजपा कार्यकर्ता एवं नेता को टिकिट देने की मांग कर रहे हैं।यह अलग बात है कि विरोध के उपजते ही उसे पार्टी के वरिष्ठों ने जानकारी में आते ही डेमेज कंट्रोल वाली सि्थति में नियंत्रित कर लिया है।ऐसे लोगों को आंतरिक तौर पर हिदायत देते हुए कहा गया है कि वे अगर कहना ही चाहते हैं तो अपनी बात कहें घोषित उम्मीदवार का विरोध करते हुए अपनी बात न कहें।इसी के तहत विरोध में बदलाव आ गया है। विरोध में मुखरित स्वर के स्थान पर अपने तई बात की जा रही है।ये अलग बात है कि केंद्रीय समिति से जुडे प्रभावी नेताओं के समक्ष व्यकि्तगत रूप से विरोध में सब सामने आ रहा है।इस मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष बहादुरसिंह बोरमुंडला का कहना है कि इतनी बडी पार्टी में इतने कार्यकर्ता हैं सभी की इच्छा होती है।कई दावेदार होते हैं।पार्टी ने जिसके पक्ष में निर्णय दिया है उसे सभी को मान्य करना है।यह विरोध भी कुछ दिनों का है बाकी सभी कार्यकर्ता समय पर काम पर लग जाएंगे।कुछ सि्थति स्वाभाविक हैं जिससे इंकार नहीं किया जा सकता है।पार्टी सतत रूप से मजबूत हुई है।धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाएगा।अगर फिर भी कुछ मामले सामने आएंगे तो घर की बात घर में की जाएगी। केंद्रीय समिति का निर्णय सर्वोपरि है उसे सभी को मानना ही है।