रतलाम : शहर में पहली बार निकली बाबा महाकाल की शाही सवारी ने रतलाम की पावन धरा को शिवमय कर दियाप्रकाश प्रभु राठौड़ परिवार ने निकाली शाही सवारी
रतलाम । शहर में पहली बार निकली बाबा महाकाल की शाही सवारी ने रतलाम की पावन धरा को शिवमय कर दिया। पालकी में सवार बाबा महाकाल के दर्शन व पालकी को छुने के लिए हर कोई आतुर था। सोमवार सुबह 8 बजे सिविक सेंटर स्थित श्री काशी विश्वनाथ महादेव मंदिर से जैसे ही बाबा महाकाल की शाही सवारी निकली तो हर-हर महादेव, जय महाकाल के उद्घोष से पूरा माहौल शिव की भक्ति में तल्लीन हो गया। ढोल-ताशे, बैंड बाजे एवं डीजे की धुन पर बाबा महाकाल के भजनों में श्रद्धालू भोले की भक्ति में झूम उठे।
रतलाम जिला पंचायत पूर्व अध्यक्ष प्रकाश प्रभु राठौड़ परिवार द्वारा सनातन धर्म की अलख जगाने और देश, प्रदेश व शहर में खुशहाली की कामना को लेकर शहरवासियों को सावन एवं अधिक मास के प्रत्येक सोमवार उज्जैन महाकाल तीर्थ की नि:शुल्क यात्रा कराई गई। सावन के अंतिम सोमवार को उज्जैन महाकाल तीर्थ यात्रा पर रवाना होने से पहले शहर में पहली बार बाबा महाकाल की शाही सवारी प्रकाश प्रभु राठौड़ परिवार द्वारा शाही
ठाट-बाट से निकाली गई। उज्जैन के बाबा महाकाल की शाही सवारी की तरह रतलाम में निकली शाही सवारी एवं बाबा महाकाल के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम रतलाम की सडकों पर उमड़ा।
हर कोई इस ऐतिहासिक पल को अपने मोबाइल में कैद करने को आतुर था। उज्जैन से आई श्रंगारित पालकी में बाबा महाकाल को विराजमान किया गया। शाही सवारी में सबसे आगे मातृ शक्ति अश्व पर सवार थी। इस्कान टेंपल की टीम राधेृकृष्णा के भजनों पर थिरक रही थी। महिलाएं सिर पर 108 पवित्र नदियों एवं सप्त सागर के जल कलश सिर पर रख चल रही थी तो भगवान भोलेनाथ के भूतों की टोली शिव भक्ति में नृत्य कर सबका ध्यान अपनी और आकर्षित करने के साथ ही आदिवासी समाज की नृत्य टोली भी अपनी छटा बिखेर रही थी। बग्गी में श्री विशुद्धानंद गिरी परमहंस 1008 अखंड आश्रम नागेश्वर रोड बदनावर धार मध्यप्रदेश सवार थे। बग्गी में लड्डू गोपाल, हाथी पर मनमहेश भगवान एवं चंद्रमोलेश्वर भगवान भी विशेष रूप से शाही सवारी में शामिल हुए।
उज्जैन का गणेश बैंड भोले के भजनों के साथ देश भक्ति के तरानों की प्रस्तुति के साथ भस्म रमैया मंडली भी ढोल-ताशों के साथ भोले की भक्ति में तल्लीन थी। भगवान भोलेनाथ की विशालकाय मूर्ति के साथ आकर्षक झांकी भी शाही सवारी में शामिल हुई। शाही सवारी शहर के अनेक प्रमुख मार्गों से होते हुए श्री बड़ा गोपाल जी के मंदिर माणकचौक पहुंची तो प्रभु के हरी हर मिलन का उत्साह देखते ही बनता था। आलकी के पालकी जय हो महाकाल के उद्घोष के साथ हर कोई झूम उठा। यहां पर बाबा महाकाल की आरती कर स्वागत किया गया। शाही सवारी का एक छोर चांदनीचौक पर था तो अंतिम लोहार रोड पर था। भव्य शाही सवारी सिविक सेंटर स्थित काशी विश्वनाथ महादेव मंदिर से लोकेंद्र टॉकीज, शहर शराय, आबकारी चौराहा, लौहार रोड, तोपखाना, चांदनीचौक, चौमुखीपुल, घांस बाजार, गोपाल जी का बड़ा मंदिर माणक चौक, डालूमोदी बाजार, नाहरपुरा चौराहा, धानमंडी, शहर शराय होते हुए पुन: काशी विश्वनाथ महादेव मंदिर परिसर पर विश्राम हुआ। इसके बाद बसों एवं चार पहिया वाहनों से श्रद्धालुओं को लेकर उज्जैन महाकाल तीर्थ यात्रा के लिए रवाना हुए।
स्वागत के लिए उमड़ा शहर
शहर में पहली बार निकली ऐतिहासिक भव्य बाबा महाकाल की शाही सवारी का आम से लेकर खास ने भक्ति रूपी उत्साह से स्वागत किया। चाहे राजनीतिक दल हो या सामाजिक सभी ने जोरदार स्वागत कर बाबा महाकाल के दर्शन किए। सनातन सोशल ग्रुप, सराफा एसोसिएशन, राजपूत समाज, राठौड़ (तेली) समाज, माहेश्वरी समाज, मारुति ग्रुप सहित 100 से अधिक स्थानों पर मंच से फूलों की बारिश से शाही सवारी का स्वागत हुआ।