वर्चस्व संघर्ष में वानर की आंतडियां बाहर आई,डेढ घंटे के आपरेशन में समेटी डाक्टरों ने
उज्जैन।वर्चस्व में दो वानरों के बीच जमकर संघर्ष हुआ । इस दौरान एक वानर की आंतडियां बाहर निकल आई।घायल वानर की सूचना वन विभाग को ग्रामीणों ने दी तो उसी स्थिति में उसे विभाग लेकर उज्जैन आया।यहां पशु चिकित्सक ने डेढ़ घंटे की मशक्कत के साथ सफल आपरेशन किया और वानर की आंतडियों को पुर्नस्थापित कर उसे नया जीवन दिया है।
वाक्या बडनगर रोड़ पर ग्राम चिकली के समीप का सामने आया है।वानर के समुह में वर्चस्व को लेकर यह संघर्ष हुआ था। इस संघर्ष में घायल वानर की जानकारी वन विभाग को ग्रामीणों ने दी थी।डिप्टी रेंजर मदन मौरे ने बताया कि घायल बंदर की स्थिति देखने पर काफी खराब लग रही थी।इसके बावजूद हम उसे उज्जैन लेकर आए और पशु चिकित्सकों को जानकारी दी।डा. अरविंद मैथनिया ने उसे देखा और तत्काल ही आपरेशन का निर्णय लिया।आपरेशन करीब डेढ घंटा चला । उसके बाद बंदर को होंश आने पर पिंजरें में उसे ले आए और वन मंडल रेस्क्यू कार्यालय के पास ही उसे रखकर निगरानी की जा रही है।दुसरे दिन डा.मुकेश जैन ने बंदर की जांच करते हुए उसे उपचार दिया ।बंदर ने केला और जामफल भी खाया । हमारे पास एक मादा बंदर भी है जिसकी दोनों आंखें खराब है और उसका पिछले कुछ दिनों से बराबर ईलाज जारी है।
डेढ़ घंटे के आपरेशन में आंतडियां अंदर की-
पशु चिकित्सक डा.अरविंद मैथनिया ने बताया वन विभाग के डिप्टी रेंजर मदन मौरे बंदर को लेकर आए थे।बंदर की आंतडियां बाहर आई हुई थी लेकिन वह पूरी तरह से एक्टिव था।तत्काल ही आपरेशन का निर्णय लेकर हमने उसे बेहोशी के इंजेक्शन दिए।करीब 10मिनिट के इंतजार के उपरांत बंदर के बेहोंश होने पर बाहर आ चुकी आंतडियों को सामान्य स्लाईन के पानी से धोकर देखा गया कि उनमें पंचर और लिकेज जैसी स्थिति तो नहीं हुई है।उसके बाद आंतडियों को वापस घाव के स्थान से अंदर डालने पर सामान्यत:संभव नहीं हो पा रहा था। इस स्थिति को देखते हुए घाव को और बड़ा कर सभी आंतडियों को व्यवस्थित अंदर किया गया।इसके बाद अंदर और बीच की मांसपेशियों को व्यवस्थित करते हुए सीला गया।उपरांत चमडी पर टांके लगाए गए।इसके साथ ही बंदर को दर्द निवारक,एंटीबायोटिक,मल्टीविटामीन के इंजेक्शन दिए गए।बंदर के होंश में आने पर उसे इलेक्ट्रोलाईट दिया गया।वन विभाग के डिप्टी रेंजर श्री मौरे पिंजरे में बंदर को अपने साथ ले गए थे।