विधानसभा निर्वाचन : विडियोग्राफी,सीसी टीवी माफिया में फूट पडी
-देवास की ब्लेक लिस्टेड फर्म अब भी कई जिलों में दांव खेलने की तैयारी में
इंदौर।प्रदेश में निर्वाचन के तहत 30 करोड से अधिक के विडियोग्राफी एवं सीसी टीवी के ठेके दिये जा रहे हैं। इन ठेकों को हथकंडों के साथ हथियाने में माहिर माफिया में फूट पड गई है,काम लेने की आपसी खींचतान से यह फूट पडी है।इसके कारण कई जिलों में कम दर पर ही इसके ठेके उठाए जाएंगे। इसका लाभ निर्वाचन को मिलने की उम्मीद है अगर ठेकेदार के बिलों को लेकर पूरी सतर्कता रखी गई तो।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार ठेकों को हथकंडों के साथ हथियाने में माहिर विडियोग्राफी,सीसी टीवी माफिया का केंद्र देवास में बताया जा रहा है।यहीं पर कुछ माह पूर्व इनके सिंडकेट की बैठक रखी गई थी जिसमें कौन कहां किस सेटिंग के तहत टेंडर डालेगा और संबंधित जिलों में निविदा की शर्त क्या होगी यह तक दावे किए गए थे।प्रदेश भर में केंद्रीय निर्वाचन के तहत हो रहे विधानसभा चुनाव में हर जिले में अलग – अलग शतोर्ं के साथ निविदा आमंत्रित की गई,कुछ जिलों में निविदा पूर्ण कर ली गई हैं और कुछ में प्रकि्रयाधीन हैं।खास बात तो यह है कि किसी भी जिला में 15 लाख से कम का काम नहीं होगा,इसके बावजूद प्रदेश के कुछ जिलों में नियमों को दरकिनार कर इसके आफ लाईन टेंडर आमंत्रित कर लिए गए थे। पूर्व से ही सिंडिकेट के कुछ ठेकेदार जिलों में सकि्रय होकर शर्तों के अपने मान से निर्धारण करवाने में लगे रहे जिससे की उनकी रिंग के ठेकेदार ही उस जिला में काम ले सकें।सिंडिकेट में फूट के चलते जानकारी सामने आ रही है कि इस बार इंदौर में भी ठेका पंचायत चुनाव से भी कम दर पर जाएगा।
माफिया में फूट देवास के काम को लेकर ही पडी-
सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि देवास से संचालित सिंडिकेट में देवास से ही फूट पडी है।देवास निर्वाचन के टेंडर आमंत्रण में इनके बीच की सि्थति सामने आ गई है।यहां पर एक फर्म को टेंडर डालने से ही निर्वाचन ने सीधे तौर पर रोक लगा दी है। इसके पीछे का षडयंत्र भी यहीं के एक ठेकेदार ने खेला है।जानकारी सामने आ रही है कि पिछले चुनाव और प्रशासन के अन्य कामों में देवास की एक नहीं आधा दर्जन से अधिक फर्म ब्लेक लिस्टेड हैं। इसके कई कारण हैं । इसके बावजूद ऐसे ठेकेदारों ने अपने परिजनों के नाम से फर्म बनाकर डमी फर्म से काम लेकर प्रशासन को शेंडी लगाई है।प्रदेश के रतलाम,देवास,उज्जैन सहित एक दर्जन से अधिक जिलों में देवास की फर्मों के ब्लेक लिस्टेड के आदेश और नोटिस दबे पडे हैं।ऐसे ठेकेदारों ने डमी फर्म के माध्यम से अन्य जिलों में कई बार आधे दूदे काम करके पैसा पूरा लिया है।केंद्रीय निर्वाचन आयोग अगर इसकी जांच करे तो चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं।