चेक बाउंस का झूठा मुकदमा दर्ज कराया, 6 साल बाद मिला न्याय
उज्जैन । चेक बाउंस मामले में राजीव रत्न कॉलोनी निवासी रफीक पिता मोहम्मद आमीर को दोषमुक्त करार दिया गया। मुकदमे की पैरवी करने वाले अधिवक्ता मनोज यादव ने बताया कि रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर रफीक पर आरोप लगाये गये थे। वर्ष 2017 में झूठा फरियादी बनकर रफीक के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई गई, चेक बाउंस कराया और पुलिस से सांठगांठ कर 420 और 506 का मुकदमा दर्ज कराया। मुकदमे में 6 साल के बाद न्यायालय द्वारा रफीक को दोषमुक्त किया गया। प्रकरण में 3 लाख 7 हजार का चेक था जिसमें अनुसंधान अधिकारी द्वारा साक्षी अशरफ, अरशद और मोहसिन के कथनों में 3 लाख 7 हजार को 3 लाख 70 हजार बताए। इस दौरान रफीक के साथ मोहसिन, दानिश और इमरान ने निजामुद्दीन ट्रेन इंदौर में हमला कर जीरो पाईंट कलाली फ्रीगंज के समीप फेंक दिया था। उन तथ्यों को आधार बनाकर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा रफीक को दोषमुक्त करार दिया गया। वहीं एक अन्य मामले में बलात्कार के आरोप से विशेष न्यायाधीश लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम एवं चतुर्थ अति. सत्र न्यायाधीश द्वारा शाजापुर निवासी नवाब अली को दोष मुक्त किया गया। अधिवक्ता मनोज यादव ने बताया कि एक महिला तथा उसके पति को लोन लेना था जिसपर महिला तथा पति ने नवाब से अपनी जमीन की पावती लगाने की बात कही थी। लेकिन जब नवाब ने इंकार कर दिया तो महिला ने नवाब के खिलाफ झूठा बलात्कार का प्रकरण दर्ज करवा दिया। मामले में साक्ष्य एवं कथनों के आधार पर नवाब को दोषमुक्त करार दिया गया। उक्त मामले की पैरवी अधिवक्ता मनोज यादव द्वारा की गई।